नई दिल्ली, 13 जून . वर्ल्ड जेंडर पैरिटी इंडेक्स में महिलाओं की पिछड़ती स्थिति को लेकर तमिलनाडु के पूर्व डीजीपी और कांग्रेस नेता करुणा सागर ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार की ‘कथनी और करनी’ में कितना अंतर है.
उन्होंने कहा, यह सरकार महिलाओं के मुद्दे को लेकर तनिक भी गंभीर नहीं है. अगर होती तो आज हमें इस स्थिति का सामना न करना पड़ता.
करुणा सागर ने कहा, “हर साल वर्ल्ड जेंडर पैरिटी रिपोर्ट जारी की जाती है. पिछले साल तक हम लोग 127वें पायदान पर थे. इस बार हम लोग कुल 146 देशों में से 129वें पायदान पर आ गए हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि केंद्र की मोदी सरकार की कथनी और करनी में कितना अंतर है. हम देश की आधी आबादी को आज भी न्याय नहीं दे पाए हैं. आजादी के सात दशकों के बाद भी महिलाएं विकास के मोर्चे पर पिछड़ी हुई हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर मौन साधा हुआ है.“
उन्होंने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “ये लोग बड़े ही जोरशोर से नारी वंदन शक्ति अधिनियम लेकर आए थे, लेकिन मंत्रिमंडल में महज 8 फीसद महिलाओं को ही प्रतिनिधित्व मिला है. इससे स्पष्ट है कि केंद्र सरकार महिलाओं के मुद्दे को लेकर तनिक भी संवेदनशील नहीं है. अगर होती तो महिलाओं की यह स्थिति नहीं होती. यह दावा तो कुछ और करते हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और होती है. आपने देखा होगा कि किस तरह मणिपुर में महिलाओं के साथ दुराचार हुआ. हाल ही में आपने देखा कि बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय पर यौन शोषण के आरोप लगाए गए. इससे पहले कुलदीप सिंह सेंगर का मामला काफी सुर्खियों में रहा. इसी दिल्ली में महिला पहलवानों के साथ पहले बृजभूषण शरण सिंह यौन शोषण करते हैं और इसके बाद जब महिलाएं इंसाफ के लिए सड़क पर उतरती हैं, तो दिल्ली पुलिस उनके साथ दुर्व्यवहार करती है. इस पूरी प्रक्रिया से एक बात स्पष्ट है कि बीजेपी बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ पर विश्वास नहीं करती. वह महिलाओं के साथ दुराचार करने वालों को संरक्षण देती है, जिससे स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं से जुड़े मुद्दे पर किए गए दावे पूरी तरह से खोखले हैं, जिनमें बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है. अगर होती, तो आज ऐसी स्थिति का सामना ही नहीं करना पड़ता.“
इसके साथ ही करुणा सागर ने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले की भी निंदा की. उन्होंने कहा, “सबसे पहले हम इस आतंकी हमले की निंदा करते हैं और सरकार से मांग करते हैं कि आतंकी गतिविधियों में संलिप्त सभी आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें. साथ ही यह सुनिश्चित करें कि घाटी में दोबारा ऐसी स्थिति पैदा ना हो, लेकिन यहां केंद्र सरकार से यह सवाल करना जरूरी हो जाता है कि जब 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था. तब यह दावा किया गया था कि अब घाटी में चौतरफा दूध की नदियां बहेंगी. जम्मू-कश्मीर में अब स्वर्णिम युग शुरू हो चुका है, लेकिन आप खुद ही देख लीजिए बीजेपी इस लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में एक भी उम्मीदवार नहीं उतार सकी, जिससे साफ जाहिर होता है कि बीजेपी द्वारा किए गए सभी दावे खोखले हैं.“
इसके अलावा, उन्होंने रियासी हमले का जिक्र कर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा, “यह पहली बार हुआ है कि श्रद्धालुओं से भरी बस को जम्मू में आतंकियों ने अपनी गोलियों का शिकार बनाया. इससे केंद्र सरकार की जम्मू-कश्मीर के संबंध में लाई नीतियों की विफलता परिलक्षित होती है. इसके अलावा, यह पहली बार देखने को मिल रहा है कि वहां की जनता का रोष मौजूदा सरकार के खिलाफ अपने चरम पर है. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील कर दिया है. ऐसा करके केंद्र सरकार ने उल्टी गंगा बहाने का प्रयास किया, जो कि किसी भी मायने में उचित नहीं है.“
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