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Bengaluru, 20 जुलाई . कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली Government ने धर्मस्थल में कथित हत्याओं की जांच के लिए चार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है.
एसआईटी के गठन की मांग Supreme court के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी. गोपाल गौड़ा और कई कार्यकर्ताओं ने की थी.
धर्मस्थल कर्नाटक का एक प्रमुख हिंदू तीर्थस्थल है, इसलिए इस घटनाक्रम से विवाद खड़ा होने की संभावना है.
कर्नाटक Government ने Sunday को यह आदेश जारी किया. Governor थावरचंद गहलोत के निर्देश पर अवर सचिव एस. अंबिका ने यह आदेश जारी किया.
एसआईटी का नेतृत्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी प्रणब मोहंती, आंतरिक सुरक्षा विभाग के डीजीपी, डीआईजी (भर्ती) एम.एन. अनुचेत, डीसीपी (सिटी आर्म्ड रिजर्व) सौम्यलता और आंतरिक सुरक्षा विभाग के Police अधीक्षक जितेंद्र कुमार करेंगे.
आदेश के अनुसार, “राज्य महिला आयोग ने अपने पत्र में धर्मस्थल क्षेत्र में सैकड़ों शवों को कथित तौर पर दफनाए जाने की घटना पर प्रकाश डाला है. एक व्यक्ति ने आगे आकर अदालत के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया है. आयोग ने खोपड़ी मिलने और एक लापता मेडिकल छात्रा के परिवार के बयान से संबंधित मीडिया रिपोर्टों को भी गंभीरता से लिया है.”
आदेश में आगे कहा गया है, “अज्ञात व्यक्ति का बयान पिछले 20 वर्षों में कई महिलाओं और छात्राओं से जुड़े हत्या, बलात्कार, अप्राकृतिक मौतों और गुमशुदगी जैसे जघन्य अपराधों का उल्लेख करता है. इसे देखते हुए, महिलाओं और छात्राओं के लापता होने, हत्याओं और बलात्कार के मामलों की निष्पक्ष जांच और वरिष्ठ Police अधिकारियों के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग की गई है.”
Government ने कहा कि राज्य महिला आयोग के अनुरोध और धर्मस्थल Police स्टेशन में बीएनएस अधिनियम की धारा 211(ए) के तहत दर्ज मामले के मद्देनजर एसआईटी का गठन उचित है. एसआईटी राज्य भर के अन्य Police थानों में दर्ज किसी भी संबंधित आपराधिक मामले की भी जांच करेगी.
डीजीपी और आईजीपी को एसआईटी के लिए आवश्यक स्टाफ उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. एसआईटी को निर्देश दिया गया है कि वे डीजीपी और आईजीपी को जांच की प्रगति से नियमित रूप से अवगत कराते रहें. आदेश में कहा गया है कि जांच से जुड़े सभी मामलों की अंतिम रिपोर्ट डीजीपी और आईजीपी के माध्यम से Government को जल्द से जल्द सौंपी जानी चाहिए.
कर्नाटक के Chief Minister सिद्धारमैया ने Friday को कहा था कि उनकी Government कथित धर्मस्थल हत्याकांड से निपटने के संबंध में किसी भी दबाव में नहीं आएगी.
11 जुलाई को अज्ञात शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि उसे धर्मस्थल गांव में बलात्कार और हत्या की शिकार कई महिलाओं के शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया था. वह पिछले Friday को कर्नाटक के मंगलुरु जिले की एक अदालत में पेश हुआ और अपना बयान दर्ज कराया.
उस व्यक्ति ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 183 के तहत प्रधान सिविल न्यायाधीश और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट संदेश के. के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया.
उसके बयान के अनुसार, वह 11 साल पहले धर्मस्थल से भाग गया था. उसने आरोप लगाया कि महिलाओं के शवों पर यौन उत्पीड़न के स्पष्ट निशान थे. वे बिना कपड़ों या अंतर्वस्त्रों के मिलीं और उन पर चोटों के निशान थे जो हिंसक कृत्यों का संकेत देते हैं. इस खुलासे ने राज्य को झकझोर कर रख दिया है.
सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी. गोपाल गौड़ा और कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि इस मामले की जांच सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जाए.
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डीकेएम/केआर