बेंगलुरु, 14 अक्टूबर . कर्नाटक भाजपा ने हुबली दंगा मामले में 150 से अधिक लोगों के खिलाफ केस वापस लेने के राज्य सरकार के कदम की निंदा करते हुए सोमवार को बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में विरोध-प्रदर्शन किया.
भाजपा ने यह भी घोषणा की है कि यह एक प्रतीकात्मक विरोध-प्रदर्शन है और अगले सप्ताह हुबली में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र, विपक्ष के नेता आर. अशोक, पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा सांसद गोविंद करजोल, विधान परिषद में विपक्ष के नेता चालावाड़ी नारायण स्वामी, एमएलसी एन. रविकुमार और अन्य ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बेंगलुरु में विरोध-प्रदर्शन किया. उन्होंने कांग्रेस सरकार की आलोचना करने वाले पोस्टर पकड़े और मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के खिलाफ नारे लगाए.
विजयेंद्र ने मीडियाकर्मियों से कहा, “सिद्दारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं. उनकी स्थिति पहले से ही डावांडोल है. उन्हें किसी भी समय इस्तीफा देना होगा और उन्हें ऐसा करना ही होगा. अपनी कुर्सी बचाने के लिए सिद्दारमैया यह सब भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि सिद्दारमैया जाति जनगणना को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं. सीएम ने 2022 में हुबली दंगा मामले में शामिल सभी राष्ट्र-विरोधी तत्वों के खिलाफ मामले वापस लेने का कैबिनेट में निर्णय लिया है.
विजयेंद्र ने कहा, “उन्होंने पत्थरबाजी की और पुलिस पर हमला किया. सिद्दारमैया सरकार ने उन मामलों को वापस लेने का फैसला किया है, जिनकी जांच अब भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है.”
उन्होंने कहा कि एनआईए ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच जारी है. मामलों को वापस लेने का फैसला पूरी तरह से अवैध है.
भाजपा नेता ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि कोई भी इसका समर्थन कर सकता है. भाजपा ने इस मुद्दे को गंभीरता से और प्रतीकात्मक रूप से बेंगलुरु में उठाया है और अगले सप्ताह तक हम हुबली में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन करेंगे.”
उन्होंने कहा कि सिद्दारमैया खुद एक वकील हैं और उन्हें इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि जब एनआईए मामले की जांच कर रही थी, तो सिद्दारमैया ने ऐसा फैसला क्यों लिया?
उन्होंने आरोप लगाया, “यह बहुत आसान है, वह मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि पूरी कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त है.”
उन्होंने दावा किया कि लोग कांग्रेस सरकार से तंग आ चुके हैं, क्योंकि आम आदमी राज्य में हो रहे भ्रष्टाचार के बारे में बात कर रहा है.
उन्होंने कहा, “यह सिद्दारमैया की पूरी तरह से ध्यान भटकाने की रणनीति है. कांग्रेस नेताओं का आरएसएस के खिलाफ चिल्लाना कोई नई बात नहीं है. पूरी दुनिया जानती है कि आरएसएस ने 100 साल में क्या किया है. सिद्दारमैया और कांग्रेस सरकार राष्ट्र-विरोधियों और आरएसएस के साथ समानता नहीं रख सकते.”
विपक्ष के नेता आर. अशोक ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के लिए असली ‘बिग बॉस’ ‘आतंकवादी’ हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उनके ‘निर्देशों’ के अनुसार ‘काम’ कर रही है. विधान परिषद में विपक्ष के नेता चालावादी नारायण स्वामी ने कहा कि मुख्यमंत्री मनुस्मृति का पालन करते हैं.
उन्होंने कहा, “जब हिंदू खुद को हिंदू बताते हैं तो सिद्दारमैया को इतनी परेशानी क्यों होती है? आप उन लोगों के खिलाफ मामले वापस ले रहे हैं जिन्होंने पत्थर फेंककर निर्दोष पुलिसकर्मियों को घायल किया और उन्हें अस्पताल भेज दिया. क्या ये लोग देशभक्त हैं?”
पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा सांसद गोविंद करजोल ने कहा कि हुबली में देशद्रोह के मामले वापस लेकर सिद्दारमैया राष्ट्र विरोधी तत्वों को बढ़ावा दे रहे हैं.
उन्होंने कहा, “सिद्दारमैया के मंत्रिमंडल में सभी सहयोगी आतंकवादियों को बढ़ावा दे रहे हैं.” पूर्व उपमुख्यमंत्री सी.एन. अश्वथनारायण ने कहा कि मामले वापस लेकर कांग्रेस सरकार ने कानून को अपने हाथ में ले लिया है. उन्होंने कहा, “यह निंदनीय है. कांग्रेस कानून का सम्मान नहीं करती.”
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आरके/एकेजे