राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर कंगना रनौत की अपील, ‘हाथों से बने कपड़े हमारी पहचान, इन्हें अपनाएं ‘

New Delhi, 7 अगस्त . हर साल 7 अगस्त को ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ मनाया जाता है, जो भारत की समृद्ध बुनकर परंपरा, सांस्कृतिक विरासत और हस्तनिर्मित कपड़ों की अनोखी कला को सम्मान देने का एक अवसर होता है. यह दिन न केवल भारतीय हथकरघा उद्योग की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अहमियत को रेखांकित करता है, बल्कि उन कारीगरों और बुनकरों के योगदान को भी याद करता है जो सदियों से हमारी पारंपरिक विरासत को संजोए हुए हैं. इस अवसर पर बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने एक अपील की, जिसमें उन्होंने हथकरघा की महत्ता, सांस्कृतिक मूल्यों और स्वदेशी पहनावे की ओर लौटने की जरूरत पर जोर दिया.

से बात करते हुए कंगना रनौत ने कहा, ”किसी भी सभ्यता, परंपरा और संस्कृति को विकसित होने में हजारों साल लगते हैं. यह एक दिन, एक साल या एक पीढ़ी का काम नहीं होता. फैशन, सौंदर्यता और अभिव्यक्ति भी हजारों वर्षों की प्रक्रिया से गुजरकर विकसित हुए हैं.”

कंगना ने देश के विभिन्न हिस्सों के पारंपरिक पहनावों का उदाहरण देते हुए कहा, ”चाहे आप हरियाणा के हों या jaipur के, चाहे वह घाघरी-चोली हो या दक्षिण भारत के परिधान, मणिपुर का फनेक हो या हिमाचल की शॉल, यह सब कुछ हजारों सालों में विकसित हुई हमारी सांस्कृतिक संपत्ति है. यह केवल कपड़े नहीं हैं, बल्कि हमारे इतिहास, हमारी पहचान और हमारी कला की कहानी है.”

कंगना ने मॉडर्न फैशन ट्रेंड्स के चलते पारंपरिक पहनावे के पीछे छूटने पर चिंता जाहिर की.

उन्होंने कहा, ”सिर्फ एक पीढ़ी में हम अपनी विरासत को जींस और टॉप्स के हवाले नहीं कर सकते. जब हम आज साड़ी पहनते हैं, तो हम सिर्फ एक परिधान नहीं चुनते, बल्कि अपने कारीगरों को, अपने बुनकरों को समर्थन देते हैं. हमारी संस्कृति, हमारा पहनावा केवल दिखावे की चीज नहीं है, बल्कि यह हमारी पहचान और हमारी जड़ों से जुड़ा हुआ है. हम अपनी जड़ों को पीछे छोड़कर आगे नहीं बढ़ सकते.”

उन्होंने याद दिलाया कि कैसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने योजनाबद्ध तरीके से भारत की समृद्ध बुनकरी परंपरा को नष्ट करने की कोशिश की.

कंगना ने कहा, ”हमारे देश में हथकरघा उद्योग लाखों लोगों की रोजी-रोटी का साधन था. लेकिन फिर मशीनी कपड़ा लाकर ईस्ट इंडिया कंपनी ने हमारे लाखों हथकरघा तोड़ दिए.”

सांसद ने खास तौर पर युवाओं से अपील की कि अपने कौशल को पहचानें और हैंडीक्राफ्ट गुड्स को अपनाएं. अगर आपके घर में ये काम किया जाता है तो उसे सीखें और आगे बढ़ाएं.

उन्होंने कहा, ”हर बार जब आप खादी चुनते हैं, जब आप किसी भी तरह का हस्तनिर्मित कपड़ा पहनते हैं, तो आप केवल कपड़ा नहीं खरीदते, आप एक परिवार को भोजन देते हैं, भारतीय परंपरा को जिंदा रखते हैं.”

पीके/केआर