चेन्नई, 23 अगस्त . तमिलनाडु के चेन्नई के कोट्टूरपुरम स्थित अन्ना शताब्दी पुस्तकालय में आयोजित ‘हमारी शिक्षा, हमारा अधिकार’ कार्यक्रम में अभिनेता और राज्यसभा सांसद कमल हासन ने शिक्षा के क्षेत्र में राज्य को अधिक अधिकार देने की मांग की. इस कार्यक्रम का आयोजन डीएमके की छात्र इकाई द्वारा किया गया था.
कमल हासन ने इस दौरान मंच से अंग्रेजी में भाषण देकर केंद्र सरकार को अपना संदेश स्पष्ट किया. उन्होंने कहा, “शिक्षा को राज्य सूची में लाना चाहिए और इसे कानून बनाना चाहिए. अगर कोई इसका विरोध करना चाहता है तो 50 साल तक करे, लेकिन हमें इसे कानून बनाना ही होगा.”
नई शिक्षा नीति 2020 में लागू की गई तीन-भाषा नीति पर कमल हासन ने तमिलनाडु की पारंपरिक दो-भाषा नीति (तमिल और अंग्रेजी) का समर्थन किया. उन्होंने कहा, “तमिलनाडु में हमेशा तमिल और अंग्रेजी ही पढ़ाई जाएगी. छात्र अगर चाहें तो अन्य भाषाएं सीख सकते हैं, लेकिन किसी पर भाषा थोपना नहीं चाहिए.”
उन्होंने अपनी निजी भाषा-शिक्षा की बात करते हुए कहा, “मैं छह भाषाएं जानता हूं. स्कूल में दो भाषाएं पढ़ीं, बाकी चार खुद रुचि से सीखी. मेरी मातृभाषा हमेशा तमिल रहेगी. आज तकनीक के जमाने में हर भाषा सीखना जरूरी नहीं है, अनुवाद तकनीक से भी संवाद संभव है.”
कमल हासन ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई में कोई भ्रम या रुकावट नहीं आनी चाहिए. उन्होंने एक दिलचस्प उदाहरण देते हुए कहा, “जब शादियां हो रही थीं, तब ज्ञान दरवाजे के बाहर खड़ा था. बच्चों को ऐसी स्थिति में न डालें. उन्हें बिना उलझन के पढ़ाई में आगे बढ़ने दें.”
कमल हासन ने मंच से डीएमके के साथ अपनी नजदीकी को भी दर्शाया. उन्होंने कहा, “हमारे झंडे में मछली है, दिल में बाघ है और हाथ में धनुष है.” उन्होंने कहा कि उन्हें मंच पर बोलने में सहजता महसूस होती है, लेकिन बाहर उन्हें सावधानी रखनी पड़ती है.
कमल हासन ने अपने राजनीतिक रुख को लेकर भी कहा, “मुझे कोई बाएं या दाएं नहीं कह सकता, मेरा नाम कमल हासन है. मैं खुद अपनी भूमिका चुनता हूं, कोई और नहीं.”
उन्होंने डीएमके के युवा नेताओं की प्रशंसा करते हुए कहा, “मैं खुश हूं कि मेरे जूनियर्स अब नेतृत्व की भूमिका में हैं. हमारे Chief Minister का नाम, जो एक बहादुर रूसी नेता के नाम पर रखा गया है, वह भी निश्चित ही गर्व महसूस कर रहे होंगे.”
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वीकेयू/एबीएम