ज्योतिरादित्य सिंधिया चौथी उच्च-स्तरीय टास्क फोर्स बैठक में हुए शामिल, पूर्वोत्तर की खाद्य प्रणालियों के एकीकरण पर हुई चर्चा

New Delhi, 19 नवंबर . केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने Wednesday को चौथी उच्च-स्तरीय टास्क फोर्स बैठक में भाग लिया, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र की खाद्य प्रणालियों को एकीकृत करना था.

मिली जानकारी के अनुसार इस बैठक की अध्यक्षता अरुणाचल प्रदेश के Chief Minister पेमा खांडू ने की. बैठक में नागालैंड, मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी और सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

बैठक का मुख्य उद्देश्य दूध, अंडे, मुर्गी पालन, मांस और मत्स्य पालन जैसे उत्पादों की आपूर्ति और मांग का विश्लेषण करना था. इस विश्लेषण से ऐसा समग्र ढांचा तैयार हुआ, जो अब तक के एक-आयामी दृष्टिकोण से आगे बढ़ने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है.

टास्क फोर्स की चर्चाओं में कनेक्टिविटी, लॉजिस्टिक्स, बुनियादी ढांचा, मूल्य श्रृंखला, प्रजनन, उत्पादकता वृद्धि, ऋण सुविधा और निजी निवेश के विस्तार के पहलू शामिल थे.

सिंधिया ने बैठक में कहा, “हमारा उद्देश्य पूर्वोत्तर के लिए एक संबद्ध, कुशल और लचीला खाद्य पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है, जो न केवल आजीविका को मजबूत करे, बल्कि बाजार तक पहुंच और पोषण बेहतर बनाए.”

उन्होंने कहा कि तेज प्रगति सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक उत्पाद श्रेणी में पायलट परियोजनाओं को दो राज्यों में लागू किया जाएगा, ताकि क्षेत्रीय स्तर पर वास्तविक समय में जानकारी हासिल की जा सके और विकास की गति तेज हो.

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य विभागों और निजी हितधारकों के समन्वित प्रयासों से एक स्पष्ट कार्यान्वयन ढांचा तैयार किया जाएगा. प्रत्येक हस्तक्षेप को मूल्य श्रृंखला के विशिष्ट चरणों से जोड़ा जाएगा, ताकि उत्पादन से लेकर उपभोक्ता तक सभी जिम्मेदारियां स्पष्ट रहें.

सिंधिया ने कहा कि पूर्वोत्तर को एक एकीकृत बाजार के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, जहां विभिन्न राज्य अपनी प्रतिस्पर्धी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए अंतर-राज्यीय और अंतर्राज्यीय व्यापार को मजबूत करें. इस एकीकृत दृष्टिकोण से क्षेत्र में कुशल रसद, गहरी बाजार पहुंच और आर्थिक अवसरों का विस्तार होगा.

बैठक के समापन पर, सिंधिया ने कहा, “उत्पादन को मजबूत करके, मूल्य श्रृंखलाओं को उन्नत करके और रसद में सुधार करके, हम एक ऐसा भविष्य बना रहे हैं, जहां पूर्वोत्तर की खाद्य अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर, बाजार-तैयार और साझा समृद्धि से प्रेरित होगी.”

एसएके/एबीएम