New Delhi, 9 अक्टूबर . Supreme court के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने Thursday को कोर्ट रूम में वकील राकेश किशोर द्वारा किए गए दुर्व्यवहार की कोशिश को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी. उन्होंने कहा कि उस दिन जो कुछ हुआ, उससे मैं और मेरी बेंच के साथी जज बहुत हैरान थे, लेकिन अब हमारे लिए वह एक भूला हुआ अध्याय बन चुका है.
चीफ जस्टिस ने यह टिप्पणी कोर्ट रूम में एक वकील के साथ बातचीत के दौरान की. इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी और बताया कि उन्होंने इस विषय पर एक आर्टिकल लिखा है. उन्होंने बताया कि करीब 10 साल पहले भी Supreme court में इसी तरह की एक घटना हुई थी. उस समय जजों ने एक अलग रुख अपनाते हुए अवमानना की शक्तियों का इस्तेमाल किया था.
गोपाल शंकर नारायणन ने कहा, “मैंने उस समय भी इस घटना पर एक लेख लिखा था. लगभग एक दशक पहले एक अन्य अदालत में भी इसी प्रकार की घटना हुई थी. उस दौरान दो न्यायाधीशों के बीच इस बात पर मतभेद था कि अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की प्रक्रिया क्या होनी चाहिए.”
चीफ जस्टिस बीआर गवई के साथ मौजूद जस्टिस उज्जल भुइयां ने इस घटना पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, “इस मामले में मेरे अपने अलग विचार हैं. वह India के मुख्य न्यायाधीश हैं, यह कोई मजाक की बात नहीं है. यह घटना पूरे न्यायालय और न्यायपालिका के संस्थान के प्रति अपमानजनक है.”
बता दें कि Supreme court में सीजेआई बीआर गवई से दुर्व्यवहार करने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ Supreme court बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने Thursday को सख्त कार्रवाई की. एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने राकेश किशोर के टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के साथ ही उनका प्रवेश पास (एंट्री कार्ड) भी निरस्त कर दिया.
एससीबीए की कार्यकारिणी समिति ने एक संकल्प पारित किया, जिसमें इस घटना को गंभीर कदाचार बताया गया. यह घटना 6 अक्टूबर को हुई थी. समिति ने कहा कि इस प्रकार का अनुशासनहीन और अशिष्ट व्यवहार किसी भी कोर्ट के अधिकारी के लिए बिलकुल अनुचित है और यह पेशेवर आचार संहिता, कोर्ट के शिष्टाचार और Supreme court की गरिमा के खिलाफ है.
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वीकेयू/जीकेटी