योगी कैबिनेट का बड़ा फैसला : एलडीए को सौंपी गई जेपीएनआईसी परियोजना, सोसाइटी भंग

Lucknow, 3 जुलाई . उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने Thursday को कैबिनेट बैठक में जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी) परियोजना को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया. सपा सरकार में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी प्रोजेक्ट जेपीएनआईसी को अब Lucknow विकास प्राधिकरण (एलडीए) को सौंप दिया गया है. इसके साथ ही, परियोजना के संचालन के लिए गठित जेपीएनआईसी सोसाइटी को भी भंग कर दिया गया.

योगी सरकार ने इस परियोजना को पूरा करने, इसके रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी एलडीए को दी है, ताकि यह केंद्र जनता के लिए उपयोगी बन सके.

कैबिनेट ने जेपीएनआईसी सोसाइटी को भंग करते हुए परियोजना को यथास्थिति एलडीए को हस्तांतरित करने का फैसला किया है. अब एलडीए न केवल इस केंद्र का संचालन करेगा, बल्कि इसके रखरखाव और पूर्ण करने की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाएगा.

परियोजना को निजी सहभागिता के जरिए संचालित करने, प्रक्रिया और शर्तें तय करने, सोसाइटी की सदस्यता समाप्त करने और अन्य अनुषांगिक कार्यों के लिए एलडीए को पूर्ण रूप से अधिकृत किया गया है. यह परियोजना को पारदर्शी और कुशल तरीके से जनता के हित में उपयोग करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

कैबिनेट ने यह भी निर्णय लिया कि जेपीएनआईसी परियोजना के लिए शासन द्वारा अब तक अवमुक्त 821.74 करोड़ रुपए की धनराशि को एलडीए के पक्ष में स्थानांतरित ऋण माना जाएगा. एलडीए को इस राशि को आगामी 30 वर्षों में चुकाना होगा. यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि परियोजना के संचालन और रखरखाव के लिए वित्तीय बोझ को व्यवस्थित तरीके से संभाला जाए, साथ ही परियोजना जनता के लिए उपलब्ध हो सके.

जेपीएनआईसी परियोजना के तहत Lucknow में एक आधुनिक और विश्वस्तरीय केंद्र विकसित किया जा रहा है. इसमें राज्य स्तर का ऑडिटोरियम, कन्वेंशन सेंटर, विश्वस्तरीय स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और मल्टीपर्पज स्पोर्ट्स कोर्ट की सुविधा होगी. इसके अलावा, 750 चार पहिया वाहनों की मल्टी-लेवल पार्किंग की व्यवस्था भी उपलब्ध होगी. ये सुविधाएं जनमानस के लिए खुली होंगी, जिससे Lucknow के नागरिकों को एक आधुनिक और बहुउद्देश्यीय केंद्र का लाभ मिलेगा.

जेपीएनआईसी, जिसे सपा सरकार ने 2013 में शुरू किया था, शुरू से ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही. 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद परियोजना में अनियमितताओं की जांच शुरू हुई, जिसके चलते निर्माण कार्य रोक दिया गया.

कैग की रिपोर्ट में बिना टेंडर के काम कराने और लागत में अनावश्यक वृद्धि जैसे गंभीर आरोप सामने आए थे. 860 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होने के बावजूद परियोजना अधूरी रही, जिसे अब योगी सरकार एलडीए के माध्यम से पूरा करने की दिशा में कदम उठा रही है.

एलडीए को परियोजना को निजी सहभागिता के जरिए संचालित करने का अधिकार दिया गया है. इसके तहत, रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरईएफ) और लीज या रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल के माध्यम से निजी एजेंसियों को शामिल किया जाएगा. इससे न केवल परियोजना के बचे हुए कार्य पूरे होंगे, बल्कि इसका रखरखाव और संचालन भी बिना अतिरिक्त सरकारी खर्च के सुनिश्चित होगा. यह मॉडल परियोजना को आत्मनिर्भर बनाने और जनता के लिए उपयोगी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

योगी सरकार का यह फैसला जेपीएनआईसी को जनता के लिए खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. पिछले आठ वर्षों से बंद पड़े इस केंद्र को अब एलडीए के नेतृत्व में इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान की तर्ज पर संचालित किया जाएगा. यह केंद्र न केवल Lucknow, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, खेल और सम्मेलन केंद्र के रूप में उभरेगा. सरकार का यह कदम सपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार से दागी इस परियोजना को नया जीवन देने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है.

एसके/