नई दिल्ली, 26 जुलाई . कारगिल विजय दिवस के अवसर पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने ‘कारगिल विजय रजत जयंती’ समारोह को संबोधित किया. कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री संजय सेठ, कारगिल युद्ध में भाग लेने वाले लेफ्टिनेंट जे. एस. नैन (रिटायर्ड), कर्नल वी. एन. थापर (रिटायर्ड) समेत अन्य लोग उपस्थित रहे.
समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि देश के हर जिले में भाजपा कारगिल विजय दिवस मनाकर सेना के साथ जुड़े हुए लोगों के साथ खड़ी है. भाजपा का तमाम कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में कारगिल विजय दिवस मना रहा है. यह विजय किसी पहाड़ी पर तिरंगे की जीत नहीं थी, बल्कि भारत के शौर्य और अस्मिता की जीत थी. भारतीय सेना के जांबाजों ने अपनी जान की आहुति देकर देश की रक्षा की है.
उन्होंने कहा कि देश के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि वह जानें कि यह किस तरह का युद्ध था. भारत का इतिहास है कि वह कभी भी पहले आक्रमण नहीं करता, लेकिन यदि कोई आक्रमण करता है, तो उसे नेस्तनाबूद करने में कोई कसर नहीं छोड़ता. 1962 में भारत ने चीन से युद्ध लड़ा, 1965 में पाकिस्तान से युद्ध किया, 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराकर पाकिस्तान के सैनिकों का सरेंडर कराया.
उन्होंने कहा कि, कारगिल में भी भारत की फौज ने शौर्य दिखाते हुए विजय प्राप्त की. पाकिस्तान कारगिल में चोरों की तरह आकर टाइगर हिल पर बैठ गया था. भारत ने यह युद्ध विषम परिस्थितियों में लड़ा था. पाकिस्तान कारगिल की चोटियों पर था और भारत के वीर जवानों को पहाड़ पर चढ़कर उस दुर्गम चोटी पर कब्जा करना था. हमारे वीर जवान रुके नहीं, उन्होंने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया और टाइगर हिल पर पहुंचकर तिरंगा लहराया.
उन्होंने कहा कि जब 1962 में चीन से, और 1971 में पाकिस्तान से युद्ध हुआ तो हमारे शहीद जवानों के कपड़े, टोपी और उनका पहचान पत्र तो घर आता था, लेकिन जवान नहीं आता था. प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने यह तय किया कि देश के लिए शहीद होने वाले जवान का पूरे सम्मान के साथ उसके गांव में अंतिम संस्कार होगा. विपक्ष ने फौज का उपयोग तो किया, लेकिन जो स्थान देना चाहिए था, वह नहीं दिया. 1971 से वन रैंक वन पेंशन की मांग हो रही थी, पीढ़ियां निकल गई, 40 वर्ष बीत गए, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया, फिर कांग्रेस की सरकार ने जाते-जाते 500 करोड़ का बजट लाकर वन रैंक-वन पेंशन लाने का खोखला वादा किया था.
उन्होंने कहा कि, “देश की जनता ने 2014 में कांग्रेस को विदा कर भाजपा सरकार चुनी. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने वन रैंक वन पेंशन को लागू किया. देश के फौजी भाइयों को 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम मोदी सरकार ने किया है. यूपीए के कार्यकाल में सीमा पर खड़ा फौजी गोली के डर से भयभीत होता था और कहता था कि मैं प्रहरी के रूप में खड़ा हूं, लेकिन मेरे हाथ बंधे हुए हैं. विपक्ष के शासन में दिल्ली में बैठी सरकार की अनुमति के बिना फौजी कोई निर्णय नहीं ले सकता था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर सीमा पर गोलीबारी होती है, तो जब तक दुश्मन की गोली शांत न हो जाए तब तक रुकना नहीं है.”
“जम्मू-कश्मीर में किसी भी घोषित आतंकवादी की उम्र एक सप्ताह से अधिक नहीं है. भारत आज आतंकवाद का डटकर सामना करता है और आतंकवादियों को ढेर करके ही दम लेता है, यह बदलते हुए भारत की तस्वीर है.”
उन्होंने कहा, पूर्व की सरकारों ने यह दलील दी थी कि हम चीन की सीमा पर सड़क इसलिए नहीं बनाते हैं, ताकि वहां से किसी प्रकार की घुसपैठ न हो सके, मतलब सरकार ने यह मान लिया था कि चीन आक्रमण के लिए तैयार बैठा है. पहले देश में आए दिन अभ्यास के दौरान मिग विमानों के क्रैश होने की खबर सुनने में आती थी. जब भी प्लेन खरीदे जाते थे, तो घोटालों का नाम पहले आ जाता था. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना के बेड़े में 36 राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट, 28 अपाचे लड़ाकू विमान, 15 चिनूक विमान, सरफेस-टू-एयर मिसाइल शामिल किए गए हैं.
इसके अलावा, भारत ने 145 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर, आर्टिलरी गन, और 1.86 लाख बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदी हैं. 2014 में भारत के पास बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं थी, आज हमारा देश पूरी दुनिया में बुलेट प्रूफ जैकेट निर्यात कर रहा है. 22 वर्ष पुरानी 5 लाख से अधिक एके-203 असॉल्ट राइफलों को बदल दिया गया है और बॉर्डर पर डबल लेन ब्रिज बनाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के नेतृत्व में 4000 किमी से अधिक सड़क अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक बनकर तैयार हुई है. शिवोक-रंगपो रेल लिंक पर 45 किमी की सुरंग का काम प्रगति पर है. देश की रक्षा को मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है. आज भारत के पास स्वदेशी युद्धपोत हैं, जो देश के लिए गौरव का विषय है. आज भारत 88 हजार 319 करोड़ का रक्षा उत्पाद दूसरे देशों को निर्यात कर रहा है. भाजपा की सरकार देश और देश की फौज के नाम पर राजनीति नहीं करती है, सरकार के लिए देशहित सर्वोपरि है.
उन्होंने कहा कि दुनिया की कई रिपोर्ट्स यह कहती हैं कि भारत की फौज और जवान होनी चाहिए, अग्निवीर उसी लक्ष्य को पूरा करने का एक रास्ता है. विपक्षी दलों के लिए देश की सुरक्षा भी राजनीति का विषय बन गई है. भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रदेश सरकारें अग्निवीरों को रोजगार में पूरे अवसर प्रदान करेंगी, लेकिन कुछ लोग राजनीति करने के लिए देश की रक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हर दिवाली फौजी भाइयों के साथ मनाई है. कांग्रेस नेता कहते हैं कि द्रास जाना, राजनीति करना है. कारगिल पर भी इस तरह की टिप्पणी करने वाले लोगों ने बोफोर्स, जीप और अगस्ता वेस्टलैंड के सौदे में दलाली खाई थी. जिनकी उत्पत्ति ही दलाली और कमीशन से हुई हो, वह कैसे कारगिल विजय दिवस मनाएंगे? सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर सवाल करने वाले लोग भारत के शौर्य की क्या चर्चा करेंगे. सेना की कार्रवाई के सबूत मांगने वालों के भीतर कोई देशभक्ति नहीं है.
उन्होंने कहा कि भारत जानना चाहता है कि राजीव गांधी फाउंडेशन, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के साथ किस तरह के समझौते करता है? देश जानना चाहता है कि राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का क्या संबंध है? आज कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कांग्रेस को आत्मचिंतन करना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करते-करते कांग्रेस देश का विरोध करने लगी है.
भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की रक्षा के लिए समर्पित और प्रतिबद्ध हैं. कारगिल विजय दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि ‘न आंख उठा कर बात करेंगे, न आंख झुका कर बात करेंगे, बल्कि आंखों में आंखें डाल कर बात करेंगे’.
–
पीएसके/एएस