नई दिल्ली, 11 मार्च . राज्यसभा में मंगलवार को एक बार फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखा संवाद देखने को मिला. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की एक टिप्पणी पर सदन के नेता जे.पी. नड्डा ने कड़ा विरोध जताया और माफी की मांग की. इसके तुरंत बाद खड़गे ने स्पष्ट किया कि उनकी यह टिप्पणी उपसभापति हरिवंश के प्रति नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों के प्रति थी. उन्होंने कहा कि यदि उन्हें इससे ठेस पहुंची है तो वह माफी मांगते हैं.
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह द्वारा शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा शुरू की जानी थी. दिग्विजय सिंह के बोलने से पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सदन में हो रहे शोर-शराबे के बीच बोलने के लिए खड़े हुए. उन्होंने कहा, “हमने इस पर बोलने के लिए तैयारी भी की है.” इसके बाद उन्होंने कुछ ऐसी बात कही जिस पर सत्ता पक्ष की तरफ से आपत्ति की गई.
नेता सदन जे.पी. नड्डा ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा, “यह बहुत ही दुख की बात है. नेता प्रतिपक्ष जो इतने अनुभवी हैं, लंबे समय तक प्रदेश और संसद में रहे हैं, लोकसभा में और राज्यसभा में नेता और सदस्य के रूप में भी काम किया, उन्होंने यहां जिस भाषा का उपयोग किया वह निंदनीय है.” उन्होंने कहा नेता प्रतिपक्ष को अपनी इस टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने आसन के प्रति जिस प्रकार के शब्द का उपयोग किया है, वह अस्वीकार्य है.
जेपी नड्डा ने कहा कि यह भाषा माफी के योग्य नहीं है, फिर भी नेता प्रतिपक्ष को माफी मांगनी चाहिए. उन्हें अपने शब्दों को वापस लेना चाहिए, नहीं तो उनके शब्दों को सदन की कार्यवाही से बाहर निकालना चाहिए.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पर सफाई देते हुए कहा, “मैं माफी चाहता हूं. सर, मैंने आपके लिए कुछ नहीं बोला.” उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने सरकार की नीतियों के प्रति यह बात कही थी.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “यदि आपको मेरी बातों से ठेस लगी तो मैं आपसे माफी मांगता हूं, लेकिन सरकार से नहीं.” इसके बाद उन्होंने अपनी बात रखनी शुरू की.
जेपी नड्डा ने कहा कि खड़गे ने अपने वक्तव्य के लिए आसन से माफी मांगी है जो सराहनीय है, लेकिन “उन्होंने सरकार के बारे में जो शब्दावली कही है वह भी निंदनीय है” और वह भी कार्यवाही से बाहर निकाली जानी चाहिए.
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जीसीबी/एकेजे