झारखंड में ‘जेएलकेएम’ ने छह विधानसभा सीटों पर उतारे प्रत्याशी

रांची, 3 अक्टूबर . झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. दूसरी तरफ विभिन्न राजनीतिक दलों का चुनावी अभियान शुरू हो चुका है. झारखंड की राजनीति में हाल के वर्षों में भीड़ जुटाने वाले नेता के रूप में उभरे जयराम कुमार महतो की पार्टी ‘झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा’ (जेएलकेएम) ने गुरुवार को छह सीटों के लिए प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया.

हाल में हुए लोकसभा चुनाव में राज्य की 14 में से छह सीटों पर इस संगठन से जुड़े प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे थे. जेएलकेएम को हाल में भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक पार्टी के तौर पर मान्यता दी है.

पार्टी के अध्यक्ष जयराम कुमार महतो ने धनबाद में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करते हुए बताया कि वे स्वयं गिरिडीह जिले की डुमरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. इसी जिले में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जमुआ विधानसभा सीट से रोहित कुमार दास प्रत्याशी होंगे. साहिबगंज जिले की राजमहल सीट से मोतीलाल सरकार, रांची जिले में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित तमाड़ सीट से दमयंती मुंडा, सरायकेला सीट से प्रेम मार्डी और पलामू के छतरपुर में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से प्रीति राज को उम्मीदवार बनाया गया है.

जयराम महतो ने कहा कि पार्टी के संसदीय बोर्ड ने सभी प्रत्याशियों के नामों पर मंजूरी दी है. राज्य की बाकी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए पार्टी की 11 सदस्यीय कमेटी रायशुमारी कर रही है.

महतो ने कहा कि झारखंड की तमाम पार्टियों ने युवाओं के रोजगार और शिक्षा से जुड़े मुद्दों को हाशिए पर पहुंचा दिया है. हताश-निराश युवाओं की सुनने वाला कोई नहीं. स्थानीयता के जुड़े सवालों पर भी लगातार वादाखिलाफी हुई है. उनकी पार्टी झारखंड के लोगों के हितों को संरक्षण देने वाली स्थानीय नीति, नियोजन नीति, विस्थापन, पलायन, बेरोजगारी जैसे बुनियादी मुद्दों पर चुनाव अभियान में उतरेगी.

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में हमारे संगठन ने आठ सीटों पर उम्मीदवार उतारे और हमें कुल मिलाकर लगभग साढ़े आठ लाख से ज्यादा वोट मिले. छह सीटों पर हम तीसरे नंबर पर रहे. हम इसे अपनी हार नहीं, जीत के रूप में देखते हैं. एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों से अलग रहकर अपने मुद्दों पर राजनीति करेगी. किसी भी पार्टी में संगठन के विलय का सवाल ही नहीं है.

एसएनसी/एबीएम