जिगिशा हत्याकांड : दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषी रवि कपूर को एक जैसी दो पैरोल याचिकाएं दायर करने पर फटकार लगाई

नई दिल्ली, 11 मार्च . दिल्ली उच्च न्यायालय ने आईटी कार्यकारी जिगिशा घोष की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषी रवि कपूर को अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल की मांग वाली एक जैसी दो याचिकाएं दायर करने पर सोमवार को फटकार लगाई.

उच्च न्यायालय ने 19 फरवरी को राज्य के अधिकारियों से कपूर के पैरोल आवेदन पर 10 दिनों के भीतर निर्णय लेने को कहा था, जिसके बाद उसने एक और याचिका दायर की.

खंडपीठ की अध्यक्षता करने वाले न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंहदीरत्ता ने दोनों आवेदनों को खारिज कर दिया और कपूर की आलोचना की, जिसे अदालत ने “कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग” माना.

अदालत ने कहा कि कपूर ने दूसरी याचिका दायर करने से पहले पहली याचिका वापस नहीं ली, जिससे याचिकाकर्ता के इरादों पर संदेह पैदा हुआ.

कपूर ने मार्च में अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने और अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सामाजिक संबंध बनाए रखने के लिए तीन महीने की पैरोल की मांग करते हुए जनवरी में उच्च न्यायालय का रुख किया था. पहले आवेदन के लंबित रहने के दौरान कपूर ने राहत की मांग करते हुए दूसरी याचिका दायर की.

उसके वकील ने इसके लिए पहली याचिका में टाइपोग्राफिकल त्रुटि को जिम्मेदार ठहराया और अदालत को बताया कि पहली याचिका वापस लेने के लिए एक आवेदन दायर किया गया था.

उच्च न्यायालय ने पहली याचिका वापस लेने की प्रक्रिया में विसंगतियों पर ध्यान दिया और कहा कि कपूर के लंबित मामलों पर उसकी पिछली टिप्पणियों ने शायद दूसरी याचिका दायर करने के लिए प्रेरित किया होगा.

अदालत की नाराजगी के बावजूद कपूर भारी जुर्माने से बच गया, क्योंकि अदालत ने उस पर जुर्माना लगाने से परहेज किया.

कपूर को पत्रकार सौम्या विश्‍वनाथन और जिगिशा घोष की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था. सौम्या के मामले में दोषसिद्धि बाकी रहने और सजा को चुनौती देने वाली अपील लंबित रहने के कारण उच्च न्यायालय ने उसे हाल ही में उसे जमानत दे दी थी.

जनवरी में उच्च न्यायालय ने कपूर द्वारा किए गए अपराधों की गंभीरता को देखते हुए उनके पैरोल आवेदन को खारिज कर दिया था.

शुरुआत में जिगिशा घोष की हत्या के लिए 2016 में ट्रायल कोर्ट द्वारा कपूर को मौत की सजा सुनाई गई थी, बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कपूर की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था.

मार्च 2009 में जिगिशा घोष (28) का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी, जबकि सौम्या की सितंबर 2008 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

जिगिशा की हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी से सौम्या हत्याकांड का मामला सुलझ गया था. पुलिस ने दोनों हत्याओं का कारण लूटपाट बताया है.

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