रांची, 11 सितंबर . झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में महिलाओं और बच्चों से यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए डीजीपी, नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव और रांची के उपायुक्त को तलब किया है. उन्हें 18 सितंबर को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है.
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटनाएं रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? आए दिन सामने आ रही ऐसी घटनाओं पर क्या कोई नोटिस लिया गया है?
जनहित याचिका अधिवक्ता भारती कौशल ने दाखिल की है. याचिका में इस वर्ष जनवरी से जून तक महिलाओं से रेप की घटनाओं का जिक्र किया गया है. आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि ऐसे मामलों में पुलिस, प्रशासन एवं सक्षम प्राधिकार का रुख संवेदनशील नहीं है.
बुधवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एसएन प्रसाद की अध्यक्षता वाली बेंच ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि घर से बाहर काम के लिए निकलने वाली महिलाओं को जब तक सुरक्षा नहीं मिलेगी, तब तक वे फ्री माइंडसेट के साथ काम कैसे कर पाएंगी?
जमशेदपुर में हाल में साढ़े तीन साल की बच्ची का स्कूल वैन के ड्राइवर द्वारा सेक्सुअल हरासमेंट की घटना का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने वाले वाहनों में स्कूल के एक-दो स्टाफ का रहना जरूरी है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.
कोर्ट ने रांची स्थित मेडिकल कॉलेज रिम्स में बीते दिनों महिला स्टाफ के साथ छेड़खानी की घटना का भी जिक्र किया और कहा कि ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए पुलिस-प्रशासन को गंभीरता दिखाने की जरूरत है.
कोर्ट ने रांची नगर निगम से शहर में स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था दुरुस्त करने और सार्वजनिक स्थलों पर सीसीटीवी कैमरा सर्विलांस को बेहतर बनाने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान प्रार्थी ने कहा कि पूरे राज्य में इस मामले में कमोबेश एक जैसी स्थिति है. पुलिस की पीसीआर वैन की लगातार मॉनिटरिंग हो तो कई घटनाएं रोकी जा सकती हैं.
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एसएनसी/एबीएम