झारखंड हाईकोर्ट ने सभी जिलों के उपायुक्तों से बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण पर मांगा जवाब

रांची, 25 फरवरी . झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सभी 24 जिलों के उपायुक्तों से हॉस्पिटलों, नर्सिंग होम और क्लिनिकों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था के बारे में रिपोर्ट पेश करने को कहा है. कोर्ट ने जिलों में बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति, मेडिकल वेस्ट से प्रदूषण, हॉस्पिटल द्वारा नियम-कानूनों के अनुपालन आदि से संबंधित विषयों पर शपथ पत्र के जरिए जानकारी देने का निर्देश दिया है.

एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मंगलवार को चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने ये निर्देश दिए. सुनवाई के दौरान झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के संबंध में पूरी जानकारी देने के लिए कोर्ट से समय की मांग की गई. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख मई के प्रथम सप्ताह में निर्धारित की है.

पूर्व की सुनवाई के दौरान झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि झारखंड में पांच जिलों लोहरदगा, रामगढ़, पाकुड़, धनबाद एवं आदित्यपुर में बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट चल रहे हैं, जबकि देवघर में बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बन रहा है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को चालू रखने के लिए अनुमति देना था, जिसे उसने दे दिया था. इस मामले में जनहित याचिका झारखंड ह्यूमन राइट कनफेडरेशन की ओर से दाखिल की गई है.

प्रार्थी ने याचिका में झारखंड में एन्वायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट के अंतर्गत बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल मैनेजमेंट रूल को लागू कराने का अनुरोध किया है. कहा गया है कि राज्य में अस्पतालों, क्लीनिक, नर्सिंग होम आदि जगहों से बायो मेडिकल कचरे के निष्पादन के लिए उचित व्यवस्था नहीं होने से जनस्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है. मांग की गई है कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत बायो वेस्ट मैनेजमेंट हैंडलिंग रूल का प्रावधान झारखंड में लागू किया जाना चाहिए.

एसएनसी/एबीएम