रांची, 6 दिसंबर . झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के अस्पतालों और नर्सिंग होम से निकलने वाले ‘मेडिकल बायो वेस्ट’ के निष्पादन पर राज्य सरकार और झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जवाब तलब किया है.
चीफ जस्टिस एमएस. रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने एक मानवाधिकार संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिपोर्ट दाखिल कर बताने को कहा है कि राज्य में अभी कितने बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट हैं? किन-किन जिलों में प्लांट ऑपरेशनल हैं? इनके अतिरिक्त और कितने नए प्लांट लगाने की योजना है?
कोर्ट ने अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल बायो वेस्ट के निष्पादन की प्रक्रिया की भी बिंदुवार जानकारी मांगी है. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को तय की गई है.
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के निष्पादन को कंट्रोल करने के लिए क्या तंत्र है और क्या जिलों के सिविल सर्जन अस्पतालों एवं नर्सिंग होम के मेडिकल वेस्ट के निष्पादन पर निगरानी रख रहे हैं? क्या इसका निरीक्षण समय-समय पर किया जाता है?
सुनवाई के दौरान सरकार ने दावा किया कि राज्य के 1,633 निजी एवं सरकारी अस्पतालों और नर्सिंग होम से निकलने वाले मेडिकल बायो वेस्ट का नियमित निष्पादन किया जा रहा है. मेडिकल बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट के साथ इनका करार है और प्रतिदिन इसका उठाव किया जाता है.
सुनवाई के दौरान लोहरदगा में मेडिकल बायो वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट संचालित करने वाली कंपनी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने प्लांट स्थापित किया है, लेकिन कोई भी नर्सिंग होम मेडिकल वेस्ट निष्पादन के लिए उनसे संपर्क नहीं करता है.
मानवाधिकार संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य में मेडिकल वेस्ट का नियमों के अनुसार निष्पादन नहीं किए जाने के कारण संक्रमण और प्रदूषण फैलने का खतरा है. कई अस्पताल अपना मेडिकल वेस्ट आबादी वाले इलाकों में जहां-तहां खुले में छोड़ देते हैं.
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एसएनसी/एबीएम