झारखंड हाईकोर्ट ने रांची नगर निगम से पूछा- शहर के तालाब आखिर कहां गए?

रांची, 31 जुलाई . झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के तीन डैम और जलस्रोतों के संरक्षण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की ओर से दाखिल रिपोर्ट पर कई सवाल पूछे हैं.

कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा कि राज्य सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक रांची में 71 तालाब हैं. लेकिन, क्या वाकई इन तालाबों का अस्तित्व है? शहर में जब कुछ ही तालाब दिखते हैं तो बाकी कहां गए? क्या उन्हें भर दिया गया?

जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने रांची नगर निगम से तालाबों की स्थिति और जलस्रोतों के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2016 में भी राज्य सरकार ने शपथ पत्र दाखिल कर रांची सहित झारखंड में पेयजल की कमी दूर करने के संबंध में लॉन्ग टर्म प्लान बनाने और धुर्वा, कांके एवं गेतलसूद डैम क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के लिए कदम उठाए जाने की बात कही थी. लेकिन, इसका अनुपालन नहीं किया गया है.

आठ साल के बाद भी रांची के जल स्रोतों और डैम एरिया में अतिक्रमण बरकरार है. स्थिति यह है कि राज्य सरकार आज भी अपनी रिपोर्ट में उन्हीं बातों को दोहरा रही है, जिसका उल्लेख उन्होंने आठ साल पूर्व शपथ पत्र में किया. यह जनहित याचिका वर्ष 2011 से चल रही है. लेकिन, राज्य सरकार की ओर से जमीनी स्तर पर कदम उठाने के बजाय केवल शपथ पत्र दाखिल किया जा रहा है.

कोर्ट ने लातेहार जिले की औरंगा नदी और सोती झरना के पास बनाए गए डंपिंग यार्ड को हटाए जाने को लेकर दाखिल एक अन्य जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य के प्रदूषण नियंत्रण विभाग पर कड़ी टिप्पणी की.

कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा है कि झारखंड प्रदूषण नियंत्रण विभाग का काम प्रदूषण को रोकना है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि वही प्रदूषण फैला रहा है. कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए पांच अधिवक्ताओं की एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह कमेटी लातेहार की औरंगा नदी जाकर निरीक्षण कर अदालत को रिपोर्ट सौंपेगी.

एसएनसी/एबीएम