झांसी, 24 अगस्त . उत्तर प्रदेश की झांसी में समाचार एजेंसी ने शनिवार को ऐसी दो ग्रामीण महिलाओं से मुलाकात की जो अपने सपनों को उड़ान दे रही हैं. इन दोनों महिलाओं ने ऑर्गेनिक खेती करके ‘लखपति दीदी’ की श्रेणी में अपना नाम शामिल कर लिया है.
झांसी की दो ग्रामीण महिलाएं सुमन कुशवाहा और रचना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत नेशनल इनोवेशन इन क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर द्वारा स्वयं सहायता समूह से जुड़कर ऑर्गेनिक खेती कर रही हैं.
रचना ने को बताया कि पहले खेत की जुताई करती हैं और बीज बोती हैं. इसके बाद जब पौधा उग जाता है. उदाहरण के तौर पर अगर मिर्च का पौधा उग जाता है तो उसको फिर से निकालकर दूसरी जगह खेतों में लगा देते हैं और फिर निराई-गुड़ाई करते हैं. इन सबके एक-दो महीने के बाद जो फसल मिलती है, उसको गांव या फिर मंडी में बेचते हैं.
उन्होंने बताया कि गांव में फसल बेचने पर मुनाफा ज्यादा होता, जबकि मंडी में गांव की अपेक्षा कम मुनाफा होता है.
रचना ने आगे बताया कि ऑर्गेनिक खेती में हम खाद के लिए गोबर का प्रयोग करते हैं, जबकि फसल को कीड़े-मकोड़ों से बचाने के लिए पीली शीट का प्रयोग करते हैं.
उन्होंने बताया पहले हम खेतों में कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करते थे और अब ऑर्गेनिक खेती का रास्ता अपनाया तो हमें पहले से ज्यादा बचत होती है.
एक अन्य ऑर्गेनिक खेती करने वाली सुमन ने को बताया कि पहले हम गोबर से खाद बनाने का काम करते हैं, उसके बाद उसको खेतों में डालते हैं. ट्रैक्टर से खेतों की दो-तीन बार जुताई करवाते हैं.
इसके बाद जिसकी खेती करनी होती है, उसका बीज हम बाजार से लाते हैं. जब वो बीज पौधा बन जाता है, तो हम उसका खेतों में बुआई करवाते हैं. इन सबके बाद करीब ढाई महीने बाद फसल मिलने लगता है.
उन्होंने आगे बताया इन सभी प्रक्रिया में मजदूरों को करीब 8 से 10 हजार रुपए देना पड़ता है. उन्होंने उदाहरण के तौर बताया कि अगर हम लोग भिंडी की खेती करते हैं, तो उसमें करीब 8000 का लागत लगेगा, जबकि हमारा बचत 45,000 तक होगा.
उन्होंने बताया जब हम ऑर्गेनिक खेती नहीं करते थे, तो 30 फीसदी का मुनाफा होता था, लेकिन अब 80 फीसदी तक मुनाफा होता है.
सुमन ने बताया कि हमने चिरगांव में इसकी ट्रेनिंग ली है, वहां सिखाया गया था कि जिस महिला की आय में से 50,000 रुपए से 1,00,000 रुपए तक की बचत हो, उसको लखपति दीदी बुलाते हैं.
हमने 50,000 रुपए का लोन लिया था, जिसको चुकाने के बाद हमने 2,00,000 का माल भी रख लिया है.
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एससीएच/जीकेटी