टोक्यो, 24 जून . ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने जापान की राजधानी टोक्यो में 21 जून को इंडिया-जापान एजुकेशन फोरम में अपनी सस्टेनेबल डेवलपमेंट रिपोर्ट (एसडीआर) 2024 जारी की.
जापान में भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज मुख्य अतिथि के रूप में फोरम में उपस्थित थे. उन्होंने आधिकारिक तौर पर रिपोर्ट जारी की. यह महत्वपूर्ण क्षण भारत और जापान के बीच, विशेष रूप से शिक्षा और टिकाऊपन के क्षेत्र में, गहरे होते संबंधों को रेखांकित करता है.
यह रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की गई है जब जेजीयू ने सस्टेनेबिलिटी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए प्रतिबद्धता जताई है, खासकर प्रमुख जापानी विश्वविद्यालयों के साथ इसके जुड़ाव के माध्यम से. एसडीआर 2024 जेजीयू द्वारा उसके परिसर और पाठ्यक्रम में सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज को शामिल करने में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को आगे बढ़ाने में विश्वविद्यालय की भूमिका पर जोर देता है.
जेजीयू के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार ने कहा, “भारत-जापान संबंधों के महत्व को रेखांकित करने और एसडीजी को आगे बढ़ाने में जापान के उत्कृष्ट योगदान और इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इसके राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को मान्यता देने के लिए जापान में जेजीयू सतत विकास रिपोर्ट 2024 के वैश्विक लॉन्च पर हमें खुशी है. सस्टेनेबिलिटी के लिए हमारी प्रतिबद्धता हमारे शैक्षिक दर्शन का अभिन्न अंग है. एसडीआर 2024 न केवल हमारी पिछली उपलब्धियों को दर्शाता है, बल्कि भविष्य की पहलों के लिए एक गतिशील मार्ग भी निर्धारित करता है. यह सस्टेनेबिलिटी पर वैश्विक ट्रेंड और वैश्विक समुदाय में सकारात्मक रूप से योगदान करने की हमारी आकांक्षाओं के साथ काफी करीब से जुड़ा हुआ है. हमने जापान के 10 प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बनाया है, उसमें भी सस्टेनेबिलिटी से संबंधित मुद्दों पर मजबूत फोकस होगा.”
जापान में भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज ने मजबूत भारत-जापान संबंधों को बढ़ावा देने में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, और सहयोग तथा अकादमिक आदान-प्रदान पर जोर दिया. उन्होंने जापानी विश्वविद्यालयों के साथ ठोस अकादमिक सहयोग स्थापित करने में सक्रिय नेतृत्व के माध्यम से जेजीयू द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया, जो दोनों देशों के विश्वविद्यालयों और संस्थानों के लिए एक सराहनीय उदाहरण है.
राजदूत ने भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक समझ बढ़ाने और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने में इस तरह की पहल के महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, “हमें दोनों देशों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में और वृद्धि तथा विस्तार करने की आवश्यकता है क्योंकि इसमें अपार संभावनाएं हैं, और अभी इसका पूरी तरह से दोहन किया जाना बाकी है.”
जेजीयू ने पिछले कुछ महीनों में कई प्रमुख जापानी विश्वविद्यालयों के साथ ठोस साझेदारियों को औपचारिक रूप दिया है. इनमें यूनिवर्सिटी ऑफ यामानाशी, यामानाशी गाकुइन यूनिवर्सिटी, हिरोशिमा यूनिवर्सिटी, रित्सुमीकन यूनिवर्सिटी, रित्सुमीकन एशिया पैसिफिक यूनिवर्सिटी, कंसाई गाकुइन यूनिवर्सिटी, कंसाई गदाई यूनिवर्सिटी और रयुकोकू यूनिवर्सिटी शामिल हैं.
टोक्यो में आयोजित भारत-जापान उच्च शिक्षा फोरम के दौरान जेजीयू ने जापान के इंटरनेशनल क्रिश्चन यूनिवर्सिटी (आईसीयू) के साथ उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. इस मौके पर आईसीयू के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) शोइचिरो इवाकिरी भी मौजूद थे.
इसके अलावा, जापान में जेजीयू के लिए अन्य उल्लेखनीय साझेदारियों में यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी शामिल है, जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है. इन सहयोगों का उद्देश्य अकादमिक आदान-प्रदान, संयुक्त शोध परियोजनाओं और दोहरी डिग्री कार्यक्रमों को बढ़ाना है, जिससे दोनों देशों के छात्रों और संकाय सदस्यों का शैक्षिक अनुभव समृद्ध होगा.
भारत-जापान उच्च शिक्षा फोरम में ‘सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में विश्वविद्यालयों की भूमिका’ विषय पर एक पैनल चर्चा भी हुई. इसमें जापान भर से वरिष्ठ शिक्षाविदों और नौकरशाहों ने हिस्सा लिया. फोरम ने एसडीजी को प्राप्त करने में शैक्षणिक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला. प्रतिष्ठित पैनलिस्टों ने प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार की अध्यक्षता में चर्चा की.
फोरम में शामिल अन्य वक्ताओं में जापान कमीशन ऑन ग्लोबल गवर्नेंस के अध्यक्ष डॉ. सुकेहिरो हसेगावा, यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) काओरी हयाशी, यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के विदेशी अध्ययन के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के उपाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) नोबुओ हारुना, सोफिया यूनिवर्सिटी के वैश्विक शैक्षणिक मामलों के उपाध्यक्ष प्रोफेसर टेटसुओ मोरीशिता, क्योरिन यूनिवर्सिटी के विदेशी अध्ययन संकाय के डीन प्रोफेसर (डॉ.) रॉबिन सकामोटो प्रमुख थे. सत्र का संचालन प्रोफेसर वेसेलिन पोपोवस्की ने किया.
कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार ने फोरम के दौरान कहा, “भारत तथा जापान इतिहास और सभ्यतागत विरासत के माध्यम से एक गहरा संबंध साझा करते हैं जो आपसी सम्मान और समान हितों, विशेष रूप से शिक्षा तथा सतत विकास में निहित है.”
उन्होंने कहा, “जापानी विश्वविद्यालयों के साथ हमारा जुड़ाव न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करता है बल्कि उच्च शिक्षा और सहभागी अनुसंधान में सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज और नवाचारों की गहरी समझ को भी बढ़ावा देता है.”
सस्टेनेबिलिटी के प्रति जेजीयू की प्रतिबद्धता इसके पाठ्यक्रम, परिसर की पहलों और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों में स्पष्ट है. विश्वविद्यालय ने अपने जापानी शैक्षणिक साझेदारों के सहयोग से डिज़ाइन की गई सस्टेनेबिलिटी केंद्रित कई पाठ्यक्रम और कार्यशालाएं शुरू की हैं. यह पहल विश्वविद्यालय की हरित नीतियों का समर्थन करती है और छात्रों को सस्टेनेबिलिटी से जुड़ी वैश्विक चुनौतियों पर काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है.
जेजीयू के अकादमिक प्रशासन के डीन प्रोफेसर पद्मनाभ रामानुजम ने टिप्पणी की, “जेजीयू के एसडीआर 2024 का विमोचन और भारत-जापान उच्च शिक्षा मंच का आयोजन वैश्विक शैक्षिक नेतृत्व और स्थिरता के मामले में सबसे आगे रहने की जेजीयू की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है. जेजीयू इन बुनियादों पर निर्माण करते हुए एक स्थायी भविष्य को बढ़ावा देने और भारत तथा विश्व स्तर पर अकादमिक परिदृश्य को समृद्ध करने के लिए समर्पित है.”
प्रोफेसर रामानुजम ने कहा, “एसडीजी पर जेजीयू के काम ने विश्वविद्यालय को विश्व स्तर पर मान्यता दिलाई है. टाइम्स हायर एजुकेशन (टीएचई) इम्पैक्ट रैंकिंग 2024 में जेजीयू को 10 अलग-अलग एसडीजी के लिए रैंकिंग प्रदान की गई थी. जेजीयू एसडीजी 16 के लिए सभी भारतीय विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में दूसरे स्थान पर रहा. एसडीजी 16 शांति, न्याय और मजबूत संस्थानों के बारे में है. विश्व स्तर पर, जेजीयू को एसडीजी 12 और एसडीजी 16 के लिए दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में और एसडीजी 2, 5 और 6 के लिए शीर्ष 400 विश्वविद्यालयों में स्थान दिया गया है.”
जेजीयू में अंतर्राष्ट्रीय मामलों और वैश्विक पहल के कार्यालय के एसोसिएट डीन और निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अखिल भारद्वाज ने कहा, “जापानी विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ हमारा सहयोग एक स्थायी और परस्पर जुड़ी हुई शैक्षणिक दुनिया बनाने के प्रति हमारे समर्पण का प्रतीक है. इन साझेदारियों के माध्यम से, हम अपने छात्रों और शिक्षकों को अग्रणी जापानी विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ अत्याधुनिक शोध और शैक्षिक प्रथाओं से जुड़ने के लिए अनूठे अवसरों की एक श्रृंखला प्रदान करेंगे.”
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