आगरा-मुंबई एनएच का हिस्सा छह माह में ही क्षतिग्रस्त : जीतू पटवारी

Bhopal , 15 जुलाई . कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर Madhya Pradesh से होकर गुजरने वाले आगरा-Mumbai राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-3) के क्षतिग्रस्त हिस्से पर ध्यान देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि मार्ग के एक हिस्से का निर्माण छह माह पहले 109 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था, लेकिन यह हिस्सा पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुका है. उन्होंने आरोप लगाया कि घटिया सामग्री और लापरवाही के कारण यह राजमार्ग जल्दी खराब हुआ, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है.

Union Minister गडकरी को लिखे गए पत्र में पटवारी ने कहा है कि Madhya Pradesh में आगरा-Mumbai राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-3) के इंदौर-खलघाट खंड पर स्थित गणेश घाट के रीअलाइनमेंट हिस्से की अत्यंत चिंताजनक और जर्जर स्थिति है. इस खंड का निर्माण कार्य नवंबर 2024 में 109 करोड़ रुपए की लागत से पूरा हुआ था. इसकी लंबाई 8.8 किमी तथा चैड़ाई 10.3 मीटर है और अब महज 6 इंच बारिश में ही पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है. इस पर सैकड़ों गहरे गड्ढे बन गए हैं, जिनमें से कई इतने बड़े हैं कि पूरी कार समा सकती है.

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि गणेश घाट के इस जर्जर खंड पर चलने वाले बस और ट्रक चालकों ने बताया है कि गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं का गंभीर अंदेशा बना रहता है. कुछ स्थानों पर तो पैचवर्क की सामग्री भी पूरी तरह बिखर गई है, जिससे दोपहिया वाहन चालकों के फिसलने का खतरा और बढ़ गया है. उन्होने बताया है कि इस नए अलाइनमेंट पर प्रतिदिन 25 से 30 हजार वाहनों का एकतरफा ट्रैफिक रहता है, और इन गड्ढों के कारण वाहनों को इस 8.8 किमी के खंड को पार करने में 30 से 45 मिनट का अतिरिक्त समय लग रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि निर्माण कंपनी को 5 साल तक इसका रखरखाव करना है, लेकिन रखरखाव के तहत किए गए पैचवर्क की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है. यह स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला प्रतीत होता है, जहां जनता के करोड़ों रुपये खराब गुणवत्ता वाले निर्माण पर व्यय कर दिए गए हैं. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की मांग है कि नेशनल हाईवे के इस हिस्से में हुए भ्रष्टाचार की तत्काल उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए जाएं और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए. इसके साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और रखरखाव में गुणवत्ता नियंत्रण के मानकों को और कड़ा किया जाए.

एसएनपी/एएस