नई दिल्ली, 10 फरवरी . जब राज्यसभा में शनिवार को जयंत चौधरी बोलने के लिए खड़े हुए तो प्रतिपक्ष के कुछ नेताओं ने अपनी आपत्ति जताई. जयंत चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के विषय पर अपनी बात रख रहे थे. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस पर गहरी पीड़ा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि मेरे मन में एक विचार पद त्याग का भी आया.
उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में बहुत कठिन पल आए हैं, मैंने अपने जवान बेटे को खोया, लेकिन आज की पीड़ा… जब जयंत चौधरी बोल रहे थे, जयराम रमेश क्या कह रहे थे. मैंने सुना ‘जहां जाना है, जाओ.’ श्मशान घाट पर उत्सव नहीं मनाया जाता है. यह हरकत नजरअंदाज नहीं कर सकते. चौधरी चरण सिंह किसी परिवार तक सीमित नहीं हैं.
राज्यसभा के सभापति ने कहा, “जगदीप धनखड़ के साथ कुछ भी कीजिए यह आपका विवेक है, लेकिन मैं इस आसन पर बैठा हूं. आसन को चुनौती देना किसी को शोभा नहीं देता. खासतौर पर प्रतिपक्ष के नेताओं को. मैं आप सबसे माफी मांगता हूं कि मैं सदन की इस गिरावट को रोक नहीं पाया, कोई अंकुश नहीं लग पाया.”
दरअसल, आरएलडी नेता व राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी, अपने दादा व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के मुद्दे पर शनिवार को राज्यसभा में भाषण देने के लिए खड़े हुए. इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से आपत्ति जताई गई. बाद में जयंत ने कहा कि वह इससे असहज हो गए थे. उन्होंने कहा कि भारत रत्न को बौना क्यों किया जा रहा है. ये चुनाव से संबंधित नहीं है. यहां एक सांसद के अधिकारों का हनन हुआ.
जयंत ने कहा कि सदन में राज्यसभा चेयरमैन ने मेरे अधिकार की रक्षा की. उन्होंने जीवन में कभी किसी की तरफ हाथ उठाया नहीं है, बावजूद इसके सदन में कोई सदस्य ऐसे व्यवहार करे, मैं असहज महसूस कर रहा था. कांग्रेस की ओर से सौदेबाजी का आरोप लगाए जाने पर जयंत चौधरी ने कहा कि भारत रत्न को बौना क्यों किया जा रहा है. यह चुनावी निर्णय नहीं है, यह हमेशा के लिए होता है. चौधरी चरण सिंह को कुछ न मिले तब भी वह जिंदा हैं, उनके निधन के 37 साल बाद भी उनका नाम जिंदा है.
जयंत चौधरी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह हमारे बीच हैं. खड़गे द्वारा जयंत को बोलने का मौका देने पर आपत्ति जताए जाने को लेकर राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने कहा, “इस भाषा का प्रयोग न करें. मैं चौधरी चरण सिंह का अपमान बर्दाश्त नहीं करूंगा. उनका सार्वजनिक जीवन बेदाग है, उनकी सत्यनिष्ठा और प्रतिबद्धता सदैव किसानों के प्रति रही, मैंने अपनी आंखों से देखा है.”
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जीसीबी/एबीएम