रोहतक, 6 दिसंबर . किसान आंदोलन को लेकर सरकार और किसानों के बीच एक बार फिर से टकराव देखने को मिल रहा है. किसानों ने दिल्ली पहुंचने का ऐलान कर दिया है. इसी बीच हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी ने दावा किया है कि आंदोलन करने वालों में हरियाणा के किसान नहीं हैं.
कृष्ण बेदी ने शुक्रवार को यहां मीडिया से कहा, “ये हरियाणा के किसान नहीं है बल्कि पंजाब के जत्थेदार किसान हैं, जिनकी छोटी-मोटी समस्याएं है. केंद्र सरकार उन्हें हल कर लेगी. किसानों के लिए हरियाणा सरकार ने सबसे ज्यादा काम किया है. ऐसी फसलों का भी मुआवजा दिया गया है जो फसल अबकी बार नहीं हो पाई.”
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए 24 फैसलों को एमएसपी पर खरीदने का वादा किया है. साथ ही पराली प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को शाबाशी दी है, जबकि पंजाब में ऐसा नहीं हो रहा है. ये सब आंदोलनकारी किसान पंजाब के हैं.
कृष्ण बेदी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भाजपा पर संविधान को खत्म करने का बेबुनियाद आरोप लगा रही है. उसके पास इस बात का जवाब नहीं है कि भाजपा कैसे संविधान को खत्म कर रही है? संविधान कभी भी खत्म नहीं हो सकता क्योंकि यह डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का बनाया हुआ संविधान है, जिसने न केवल भारत को बल्कि विश्व को भी राह दिखाई है. विधानसभा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सबके सामने संविधान के सभी बिंदुओं को स्पष्ट किया था, लेकिन कांग्रेस के पास न तो कोई सवाल है और न ही कोई जवाब.
पंजाब-हरियाणा (शंभू) बॉर्डर से किसान एक बार फिर दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. इस आंदोलन को ‘दिल्ली चलो’ नाम दिया गया है. पुलिस ने इन किसानों को रोकने के लिए कंटीले तार और तमाम तरह के अवरोध लगाए हैं. किसानों ने इन तारों और अवरोधों को सड़क से हटाकर अपनी यात्रा जारी रखी है.
किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा और दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी है. सार्वजनिक सभाओं और जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है. इसके साथ ही ड्रोन और वाटर कैनन की व्यवस्था भी की गई है. शंभू बॉर्डर पंजाब के पटियाला और हरियाणा के अंबाला को जोड़ता है.
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एकेएस/एकेजे