जम्मू, 11 दिसंबर . संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी अधिकार एजेंसी (यूएनएचसीआर) की टीम जम्मू-कश्मीर पहुंची है. टीम का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब राज्य में सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया एजेंसियों की ओर से गैर-कानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है.
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य में रोहिंग्या की मौजूदगी पर बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि केंद्र को तय करना चाहिए कि रोहिंग्या के साथ क्या करना है. हम रोहिंग्या शरणार्थियों को भगवान भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं.
रोहिंग्या शरणार्थी दिल मोहम्मद ने से बात करते हुए एक सवाल के जवाब में कहा, “हम पढ़े-लिखे लोग नहीं हैं. हम अपनी जान बचाने के लिए यहां आए हैं. जो सरकार पानी और बिजली काटती है, वही सरकार पानी और बिजली देती भी है. जब यूएनएचसीआर ने हमें यहां बसाया था, तो हमारा इरादा किसी के लिए परेशानी बनने का नहीं था. हम ऐसा नहीं चाहते. हम अपने देश लौटने के लिए तैयार हैं और हम सरकार से इस मामले में कोई फैसला लेने का आग्रह करते हैं.
एक अन्य रोहिंग्या शरणार्थी मोहम्मद अमीन ने पानी और बिजली मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, “हम यहां परेशानी खड़ी करने नहीं आए हैं, बल्कि उत्पीड़न से बचने आए हैं. हम यहां स्थायी रूप से रहने के लिए नहीं आए हैं. जैसे ही हमारे वतन में हालात सामान्य हो जाएंगे, हम वापस जाने के लिए तैयार हैं.”
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यदि वह रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेज सकते हैं तो उन्हें वापस भेज दें. यदि ऐसा संभव नहीं है तो उन्हें भूख और ठंड से मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता. हम रोहिंग्या शरणार्थियों को भगवान भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं.
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एफजेड/एकेजे