श्रीनगर, 30 अक्टूबर . जम्मू-कश्मीर की उमर अब्दुल्ला सरकार ने पिछले उपराज्यपाल प्रशासन के तहत लिए गए बड़े फैसलों में पहला बदलाव करते हुए केंद्र शासित प्रदेश के शैक्षणिक सत्र को फिर से पुराने दिनों की तरह करने का निर्णय लिया है.
स्कूलों के शैक्षणिक सत्र को मार्च-अप्रैल से वापस अक्टूबर-नवंबर कर दिया गया है. लंबी सर्दियों सहित जम्मू-कश्मीर की अनूठी जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पारंपरिक रूप से यहां अक्टूबर-नवंबर शैक्षणिक सत्र होता था.
हालांकि, केंद्र के शासन के दौरान इसे देश के विभिन्न हिस्सों की तरह मार्च-अप्रैल सत्र में बदल दिया गया था, जिसकी आम लोगों के साथ-साथ विशेषज्ञों ने भी आलोचना की थी. नेशनल कांफ्रेंस ने सत्ता में आने पर इसे वापस बहाल करने का वादा किया था.
अब अपने वादे पर अमल करते हुए सरकार ने सत्र को अक्टूबर-नवंबर में बदल दिया है.
जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के गठन के बाद ही शैक्षणिक सत्र को अक्टूबर-नवंबर में बदलने की मांग तेज हो गई थी. अभिभावकों और निजी स्कूल मालिकों ने इसे समय की बर्बादी बताया था. इस कदम की कई बच्चों के साथ अभिभावकों ने भी आलोचना की थी.
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद लोन ने भी साल के अंत में सत्र का समर्थन किया.
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ज्यादातर दाखिले जून से शुरू होते हैं. हमारे छात्रों को प्रवेश परीक्षाओं और दाखिले की तैयारी के लिए छह महीने अतिरिक्त मिलेंगे.’’
बता दें कि हाल ही में हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने जीत का परचम लहराया. इसके बाद नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के नए सीएम बने.
बीते दिनों सरकार की कमान संभालने के बाद उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की थी.
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एसएचके/एकेजे