सोदेपुर, 1 जून . बंगाली संस्कृति में जमैषष्ठी (जमाई षष्ठी) एक महत्वपूर्ण और पारंपरिक लोक अनुष्ठान है, जो सास और दामाद के बीच स्नेह और सम्मान का प्रतीक है. यह त्योहार हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन सास अपने दामाद की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना के लिए व्रत रखती हैं और उन्हें विशेष रूप से आमंत्रित कर उनका आदर-सत्कार करती हैं.
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के सोदेपुर में इस त्योहार का उत्साह चरम पर रहा, जहां मिठाइयों की दुकानों पर लंबी कतारें और बाजारों में रौनक देखने को मिली.
जमैषष्ठी का नाम सुनते ही सबसे पहले मिठाइयों की याद आती है, क्योंकि यह त्योहार मिठास के बिना अधूरा है. परंपरागत रूप से इस दिन दामाद के स्वागत में पांच प्रकार के व्यंजनों के साथ मिठाइयां परोसी जाती हैं. रसगुल्ला, संदेश और मालपुआ जैसी मिठाइयां इस अवसर की शान हैं.
सोदेपुर के मिठाई विक्रेता कमल दास बताते हैं, “लोग स्वास्थ्य को लेकर सजग हैं. चीनी मुक्त मिठाइयां, जैसे फलों के स्वाद वाली रसगुल्ला और संदेश, खूब पसंद की जा रही हैं. इनका स्वाद पारंपरिक मिठाइयों से अलग है, लेकिन मिठास में कोई कमी नहीं है. इस पर्व पर मिठाइयों की मांग हर साल बढ़ती है. इस बार चीनी मुक्त मिठाइयां सबसे ज्यादा बिक रही हैं. लोग स्वाद के साथ सेहत का भी ध्यान रखना चाहते हैं.”
सोदेपुर के बाजारों में पर्व से पहले मिठाई की दुकानों पर विशेष तैयारियां देखने को मिलीं. दुकानदारों ने चीनी मुक्त और फलों के स्वाद वाली मिठाइयों को विशेष रूप से प्रदर्शित किया. हालांकि, ये मिठाइयां दिखने में सामान्य रसगुल्ले जैसी होती हैं, लेकिन इनका स्वाद और बनावट खास है. कीमत की बात करें तो ये पारंपरिक मिठाइयों से थोड़ी महंगी हैं, लेकिन मांग में कोई कमी नहीं है. सुबह से ही दुकानों पर ग्राहकों की लंबी कतारें देखी गई, जो इस त्योहार के प्रति लोगों के उत्साह को दर्शाती हैं.
यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का अवसर भी है. इस दिन सास अपने दामाद को न केवल मिठाइयां और व्यंजन परोसती हैं, बल्कि उनके लिए विशेष उपहार भी लाती हैं. सोदेपुर की गलियों में इस त्योहार की चहल-पहल और मिठाइयों की मिठास ने पूरे इलाके को उत्सवी रंग में रंग दिया.
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एकेएस/एबीएम