Friday , 31 March 2023

Jaipur दहेज प्रताड़ना: अनुसंधान गलत, तत्कालीन थानाधिकारी; सब इंस्पेक्टर सहित 17 पर केस दर्ज हुआ

बस्सी में दहेज प्रताड़ना का मामला; डॉक्टर ने छुट्टी के दिन बना दी भारी चोटों की फर्जी एमएलसी - Dainik Bhaskar

बस्सी थाने में दर्ज दाे साल पुराने दहेज प्रताड़ना के मामले में तत्कालीन थानाधिकारी सोहन लाल, जांच अधिकारी एसआई ममता मीना, सब इंस्पेक्टर सहित 17 पर बस्सी थाने में केस दर्ज किया गया है. तत्कालीन थानाधिकारी ने गलत जांच कर दी और छुट्टी पर रहते हुए बस्सी सीएचसी हॉस्पिटल के तत्कालीन डॉ. कमल कुमार शर्मा द्वारा महिला काे भारी चोटें लगने की एमएलसी बना दी.

वर पक्ष के द्वारा पुलिस अनुसंधान पर एतराज उठाने पर 22 जून, 2021 को तत्कालीन थानाधिकारी गांधी नगर नरेंद्र पारीक को जांच सौंपी गई. पारीक ने बस्सी थाना पुलिस की जांच को गलत ठहराया. अब इस मामले में बस्सी कोर्ट के आदेश पर दाेनाें पुलिस अधिकारियों व डॉक्टर सहित कुल 17 लोगों के खिलाफ बस्सी थाने में एफआईआर दर्ज की है.

यह है मामला

बैंककर्मी लोकेश मीणा का 21 अप्रैल, 2015 को बस्सी निवासी नीरू से विवाह हुआ था. इसके बाद 4 फरवरी 2018 को सहमति से राजस्थान आदिवासी मीना सेवा संघ जयपुर Jaipur के सामने तलाक हो गया. समझौते अनुसार तलाक की डिग्री हाेने और केस वापसी के बाद 31 लाख रुपए के भुगतान के चेक दिए, लेकिन समय से पहले चेक लगाकर बाउंस करवा लिया गया. इसके बाद युवती व उसके परिजनों ने भरण-पाेषण का केस लगा दिया. इस पर 31 लाख का डीडी फैमिली कोर्ट में जमा करवाया.

लोकेश काे वापस केस में फंसाने के लिए साजिशन नीरू को 11 अप्रैल, 2021 को शाम 4 बजे लोकेश के घर टोडा-भाटा भेजा गया. इसके तुरंत बाद ही एसएचओ सोहन लाल भी आ गए. मारपीट का आराेप लगाकर नीरू काे इसी दिन सीएचसी बस्सी हॉस्पिटल में इलाज के लिए दो बार लाया जाता है. सीएचसी बस्सी अस्पताल के रिकॉर्ड में 11 अप्रैल, 2021 को डॉ. कमल कुमार शर्मा छुट्टी पर होने के बावजूद नीरू की भारी मारपीट व गंभीर चोटों की एमएलसी रिपोर्ट भी बना दी.

घटना के 50 दिन बाद मोबाइल बरामद करना दिखाया

लाकेश के घर में लगे सीसीटीवी कैमरे फुटेज के अनुसार मामले में अनुसंधान अधिकारी ममता मीणा व ड्राइवर मोरध्वज 4 जून, 2021 को लोकेश के घर के पास पहले फोन पटक कर आते हैं. उसके थोड़ी देर बाद लाेकेश काे लेकर एसआई ममता मीना, मोरध्वज, कानि. कपिल, विनोद पहुंचते हैं और रास्ते में फोन की बरामदगी की कार्रवाई करते हैं. सीसीटीवी फुटेज में ये सभी थाने की गाड़ी से आते दिखाई दे रहे हैं, जबकि थाने के रिकॉर्ड में प्राइवेट वाहन से आना-जाना बताया है. ड्राइवर मोरध्वज काे भी रिकॉर्ड में नहीं दिखाया. इस प्रकार से फर्जी साक्ष्य बनाए गए.

सीसीटीवी व अस्पताल के रिकाॅर्ड की जांच में खुलासा

तत्कालीन थानाधिकारी गांधी नगर नरेंद्र पारीक ने लाेकेश के घर में लगे कैमरे की सीसीटीवी फुटेज में फाेन बरामद करते हुए घटनाक्रम काे चेक किया. उसके घर थाने की सरकारी गाड़ी से जाने के बावजूद थाने के रिकाॅर्ड में प्राइवेट वाहन दिखा दिया. सरकारी ड्राइवर मोरध्वज वहां मौजूद हाेने के बाद भी रिकाॅर्ड में नहीं दिखाया. बस्सी अस्पताल के रिकाॅर्ड में डाॅ. कमल कुमार के छुट्टी पर रहते हुए एमएलसी बनाने काे गलत माना. चाेट नहीं हाेने के बावजूद एमएलसी में भारी चाेट दिखाना, एमएलसी के आधार पर धारा 308 लगाने काे जांच में गलत पाया गया.

बिना डॉक्टरी राय के धारा 308

प्रकरण में फर्जी मेडिकल दस्तावेज व साक्ष्य तैयार कर प्रकरण में बिना डॉक्टरी राय लिए ही एसआई ममता मीना ने लोकेश के खिलाफ प्रकरण में आईपीसी की धारा 308 जोड़ दिया. इसके बाद एसएमएस अस्पताल में एमएलसी की गई. इसमें कोर्ट ने लोकेश को निर्दोष बताकर रिहाई दे दी.

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