चेन्नई, 22 मार्च . तमिलनाडु सरकार द्वारा केंद्र की प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने विभिन्न हितधारकों के साथ बिना किसी परामर्श के आगामी परिसीमन प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्टता की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की. समिति ने शनिवार को अपनी पहली बैठक में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय राज्यों के राजनीतिक और आर्थिक भविष्य की सुरक्षा के लिए यह पहल की है.
जेएसी ने संकल्प लिया कि लोकतंत्र की सामग्री और चरित्र को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए परिसीमन अभ्यास को पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए. इसके तहत सभी राज्यों के राजनीतिक दलों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों को विचार-विमर्श करने, चर्चा में भाग लेने और योगदान देने का अवसर मिलना चाहिए. समिति ने यह भी कहा कि 42वें, 84वें और 87वें संविधान संशोधनों का उद्देश्य उन राज्यों को प्रोत्साहित करना था, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी रूप से लागू किया. ऐसे में 1971 की जनगणना के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर रोक को और 25 साल के लिए बढ़ाया जाना चाहिए.
इसके अलावा, जेएसी ने यह स्पष्ट किया कि जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू किया है, उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए. इस उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार को आवश्यक संवैधानिक संशोधन लागू करने चाहिए. समिति ने यह भी घोषणा की कि एक कोर कमेटी, जो सांसदों से बनी होगी, केंद्र सरकार द्वारा ऊपर उल्लिखित सिद्धांतों के विपरीत किसी भी परिसीमन अभ्यास को शुरू करने के किसी भी प्रयास का मुकाबला करने के लिए संसदीय रणनीतियों का समन्वय करेगी.
जेएसी ने यह भी निर्णय लिया कि सांसदों की कोर कमेटी चल रहे संसदीय सत्र के दौरान भारत के माननीय प्रधान मंत्री को एक संयुक्त प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करेगी. इसके अलावा, राज्य के विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपने-अपने राज्यों में उचित विधान सभा प्रस्ताव लाने के लिए प्रयास करेंगे और इसे केंद्र सरकार को सूचित करेंगे. समिति ने यह भी सुनिश्चित किया कि एक समन्वित जनमत जुटाने की रणनीति अपनाई जाएगी, ताकि नागरिकों को पिछले परिसीमन अभ्यासों के इतिहास और प्रस्तावित परिसीमन के परिणामों के बारे में जानकारी प्रदान की जा सके.
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