नए विषयों को उठाकर देश में अशांति पैदा करना उच‍ित नहीं : डॉ. वेदांती महाराज

अयोध्या, 20 दिसंबर . आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान पर संत समाज की ओर से प्रतिक्रिया सामने आ रही है. बता दें कि मोहन भागवत ने कहा था कि कुछ लोग हिंदुओं का नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं, इसी मंशा से मंदिर-मस्जिद जैसे विवादों को हवा द‍िया जा रहा है.

इस बारे में अयोध्या में डॉ. वेदांती महाराज ने से कहा, ”जब राम जन्मभूमि आंदोलन प्रारंभ हुआ था उसे समय महंत अवैद्यनाथ जी महाराज ने देश के मुसलमानों के सामने प्रस्ताव रखा कि हम मंदिर राम जन्मभूमि, कृष्ण भूमि, काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदुओं को सौंपने की मांग करते हैं, यदि ये मुसलमान मान जाते हैं, और तीनों स्थान हिंदुओं को सौंप देते हैंं, तो हम चौथे की मांग नहीं करेंगे. ये प्रस्‍ताव महंत अवैद्यनाथ जी, स्वामी बम देव जी, नृत्‍य गोपाल दास जी, परमहंस जी, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी संता नंद सरस्वती जी, स्वामी सत्य मित्र नंद गिरी जी, अवधेशानंद गिरि जी, स्वामी रामदेव जी, स्वामी परमानंद जी आदि‍ लोगों की ओर से रखा गया था.”

आगे कहा, ”उस समय बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी शहाबुद्दीन से यह चर्चा की गई थी. इस पर शहाबुद्दीन ने कहा था ठीक है हम इसे स्वीकार करते हैं कि तीन मंदिरों को हिंदुओं को समर्पित करने पर व‍िचार क‍िया जाएगा. बातचीत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्‍कालीन सरसंघचालक रज्जू भैया भी थे. उन्‍होंने भी इस प्रस्ताव को समर्थन दिया था.

डॉ. वेदांती महाराज ने कहा, ”राम जन्मभूमि मंदिर की समस्या का पूर्ण समाधान हो गया . भगवान राम का दिव्य मंद‍िर बन गया. काशी विश्वनाथ मंदिर का समाधान भी लगभग हो चुका है. कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है कि ज्ञानवापी शब्द उर्दू ,फारसी या अरबी का नहीं है. ज्ञानवापी वैदिक है, इसलिए वो मस्जिद कभी नहीं नहीं हो सकती. ज्ञानवापी मंदिर ही है. वहीं अब मथुरा का भी निर्णय हिंदुओं के पक्ष में आने वाला है, इसलिए इन तीन मंदिरों के बाद देश में शांति बनाए रखने के लिए किसी चौथे मंदिर का सवाल नहीं उठाना चाहिए.”

उन्‍होंने कहा, ” देश की 80 प्रतिशत मस्जिदें मंदिरों को तोड़कर बनाई गई हैंं, लेकिन हम अन्य किसी की मांग नहीं करते. राष्ट्रीय स्वयंसेवक सघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की बातें सही हैं और इसे स्वीकार करना चाहिए. देश में शांति, सद्भावना और राष्ट्रीय एकता बनी रहे, इसलिए पीएम मोदी ने 2014 में घोषणा की थी कि सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास. इसल‍िए सभी को देश व समाज के ह‍ित में सद्भावना बनाये रखना चाह‍िए. देश के सभी हिंदुओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक बात माननी चाहिए.

” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक रज्जू भैया और सुदर्शन जी ने जो कहा था, वही बात अब मोहन भागवत भी कह रहे हैं, उनकी बातों को हम सब लोगों को स्वीकार करना चाहिए किसी भी नए विषय को उठाकर देश में अशांति नहीं पैदा करना चाहिए.”

एमकेएस/