नई दिल्ली, 4 अक्टूबर . तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र एसआईटी का गठन कर दिया है.
कोर्ट के आदेश को लेकर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने कहा कि, इस मामले में जांच होनी चाहिए. जो बातें सामने आई है वह यह है कि वहां वह टैंकरों में घी आता था. टैंकरों के घी का इस्तेमाल जांच के बाद ही किया जाता था. मेरा मानना है कि इससे धार्मिक भावना आहत हुई है. बड़े पैमाने पर लोगों के दिमाग में यह बात आ गई है कि हम जिस घी का सेवन कर रहे हैं, उसकी स्थिति क्या है. केवल तिरुपति की बात नहीं, जहां भी घी बना रहा है, उसके जांच का पैमाना बनाना पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से सेक्स एजुकेशन को लेकर की गई टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि, सेक्स एजुकेशन होना चाहिए. भारत के जागरूक समाज और संस्कृति में इसका स्थान रहा है. कई समाजों में ऐसा प्रचलन रहा है कि बच्चों को सेक्स के संदर्भ में तैयार किया जाता है. जैसे-जैसे समाज विकसित होता गया कहीं ना कहीं ऐसी बात आती गई कि इसके बारे में बात नहीं करना है. सेक्स के साथ लाज-लज्जा की बात कही जाने लगी. सार्वजनिक तौर पर हम इसके बारे में बात करने में संकोच करने लगे. आज के समय में जब कई प्रकार का कंटेंट सार्वजनिक तौर पर सोशल मीडिया में उपलब्ध है. उसका दुष्प्रभाव बड़ी हो रही बच्चियों पर पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में सेक्स एजुकेशन जरूरी है.
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण की ओर से सनातन बोर्ड के गठन की मांग पर उन्होंने कहा कि, सनातन धर्म की रक्षा के लिए हमें बोर्ड की आवश्यकता पड़े, ये थोड़ा हास्यास्पद बात है. हमारे समाज में हमारी प्रथाओं में जहां शंकराचार्य की पीठ है. जहां धर्मगुरु हैं. ये उनका कार्य क्षेत्र है. इस बात की चर्चा होनी चाहिए की सनातन धर्म आप किसे कह रहे हैं. पहले हम लोगों को सनातन धर्म को समझने की जरूरत है. जिनको इसकी रक्षा करनी चाहिए उन पर विश्वास करें और उनको जवाबदारी दें. मेरे ख्याल से हिंदू धर्म को एक बोर्ड की जरूरत नहीं है.
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एकेएस/जीकेटी