रांची, 12 दिसंबर . झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा है कि राज्य की विधानसभा में गुरुवार को पारित 11,695 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट राज्य की परिस्थितियों और जरूरतों के अनुरूप है. विधानसभा के पहले विशेष सत्र के समापन के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘मंईयां सम्मान योजना’ में जो हम पैसे खर्च कर रहे हैं, उसके लिए अतिरिक्त राशि जुटाना कोई नामुमकिन काम नहीं है.
कई विभागों के बजट की राशि सरेंडर किए जाने के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि 1,697 करोड़ रुपए की राशि सरकार के संकेत पर सरेंडर नहीं हुए हैं. यह चुनावी वर्ष था. पांच महीने चुनाव में निकल गए. ऐसे में जो विभाग राशि खर्च नहीं कर पाए तो सरकार ने उसे सरेंडर होने से बचाते हुए ‘मंईयां सम्मान योजना’ और मुफ्त बिजली बिल के लिए इस्तेमाल किया है.
वित्त मंत्री ने कहा कि पूर्व की सरकारें भी ऐसा करती रहीं हैं. चुनावी वर्ष में भी राज्य सरकार ने 42 प्रतिशत राजस्व का सृजन किया है. यह कुशल मैनेजमेंट का उदाहरण है. सदन में चर्चा के दौरान विपक्ष के विधायकों ने अनुपूरक बजट के वित्तीय प्रावधानों पर कोई बात ही नहीं की. वे पॉलिटिकल स्पीच देते रहे.
इसके पहले विधानसभा में अनुपूरक बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि ‘मंईयां सम्मान योजना’ के लिए हम आवश्यक राशि जनरेट करेंगे. राजस्व बढ़ाने के लिए हमलोग ओडिशा का खनिज रॉयल्टी मॉडल अपनाने पर विचार कर रहे हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि ‘मंईयां सम्मान योजना’ पर व्यंग्य किया जा रहा है, लेकिन यह समझना चाहिए कि महिलाएं साधारण बीमारी के लिए पैसे नहीं जुटा पाती थी. आज वे लोग खुश हैं कि सरकार उन्हें कुछ दे रही है. अब महिलाओं को दवा खरीदने के लिए हाथ नहीं पसारना पड़ेगा. ये पैसे बाजार से होते हुए कर राजस्व के रूप में सरकार के खजाने में पहुंचेंगे.
किशोर ने कहा कि झारखंड में कुल 13 वर्ष और 62 दिन भाजपा की सरकार रही. जब झारखंड ‘बाल्यकाल’ में था, तब इसे सींचने के लिए आपने क्या किया? उस समय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए कुछ नहीं हुआ. चुनाव की रात ये लोग सिर्फ वोट खरीदने में मशगूल थे. भाजपा के पास विकास का कोई नारा नहीं था, सिर्फ घुसपैठ की बात हो रही थी.
–
एसएनसी/एबीएम