‘गांधी होना आसान नहीं’, निशिकांत दुबे ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति का पत्र शेयर कर कांग्रेस से पूछा सवाल

नई दिल्ली, 28 मई . भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को एक बार फिर गांधी परिवार पर निशाना साधा. उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के राजीव गांधी को लिखे पत्र को लेकर कांग्रेस से सवाल किया है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ‘गांधी’ होना आसान नहीं है.

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पत्र शेयर करते हुए लिखा, “गांधी होना आसान नहीं. यह पत्र अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के द्वारा लिखे पत्र के उत्तर में है. 1972 के शिमला समझौते के तहत जब यह तय हो गया कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी विवाद पर बातचीत केवल दोनों देशों के बीच होगी, कोई मध्यस्थ नहीं होगा, तो भारतीय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति रीगन से पाकिस्तान से बातचीत के लिए मदद क्यों मांगी?”

इससे पहले, उन्होंने 27 मई को अपने एक्स हैंडल पर कुछ पोस्ट शेयर कर कांग्रेस से सवाल किया था. निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा था, “आयरन लेडी इंदिरा गांधी अमेरिकी दबाव में 1971 का युद्ध तत्कालीन रक्षा मंत्री जगजीवन राम जी और सेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉ के विरोध के बावजूद भारत ने खुद ही रोक दिया. बाबू जगजीवन राम चाहते थे कि कश्मीर का हमारा हिस्सा जो पाकिस्तान ने जबरदस्ती कब्जा कर रखा है, उसको लेकर ही युद्ध बंद हो. लेकिन, आयरन लेडी का डर और चीन का दहशत यह नहीं कर पाया? भारत के लिए फायदा अपनी भूमि तथा करतारपुर गुरुद्वारा लेना था या बांग्लादेश बनाना? पूरी रिपोर्ट पढ़िए आयरन लेडी की राजनीतिक दृष्टि समझिए?”

भारत-पाक सीजफायर पर कांग्रेस की ओर से केंद्र सरकार पर सरेंडर करने के आरोप को लेकर भी भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि सरेंडर करने का काम तो कांग्रेस ने 1991 में किया था. अब समय आ गया है कि इस समझौते की जांच की जाए कि किन परिस्थितियों में यह समझौता हुआ.

समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि 1991 का समझौता तब हुआ था जब कांग्रेस समर्थित सरकार सत्ता में थी. इसे 1994 में लागू किया गया था जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे. उस समझौते में आपने कहा था कि हमारी सेना कहां तैनात होगी, नौसेना कहां तैनात होगी, वायुसेना कैसे कार्रवाई करेगी और ये सब 15 दिन पहले बताना होगा, क्या ये देशद्रोह नहीं है? दूसरा सवाल यह है कि आर्मी कह रही है कि हमने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. विदेशी मीडिया में खबरें प्रकाशित हो रही हैं कि भारत जो कह रहा है, वह सही है.

एफएम/केआर