पूर्वी लद्दाख में अप्रैल 2020 की स्थिति पर लौटना जरूरी : सेनाध्यक्ष

नई दिल्ली,23 अक्टूबर . भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी का मानना है कि भारत-चीन सीमा पर तनाव की स्थिति को कम करने के लिए एक दूसरे के प्रति विश्वास की बहाली आवश्यक है. दरअसल वर्ष 2020 जून में ताजा विवाद शुरू हुआ था. तब गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओ के बीच गंभीर झड़प हुई थी. इसके बाद से पूर्वी लद्दाख में लगातार तनाव बना हुआ था.

गौरतलब है कि अब पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर भारत और चीन के बीच महत्वपूर्ण चर्चा हुई है, जिसके नतीजे भी देखने को मिले हैं. भारत ने सोमवार को समझौते व बातचीत की घोषणा की थी. दोनों देशों के बीच हुई वार्ता के मुताबिक भारतीय और चीनी वार्ताकारों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त के लिए एक समझौते पर सहमत‍ि जताई है. यहां लंबे समय से सेनाओं के बीच विवाद चल आ रहा है.

अब भारत और चीन के बीच हुए इस समझौते को पूर्वी लद्दाख में चार वर्ष से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सेनाध्यक्ष भारतीय और चीनी पक्ष के बीच विश्वास की बहाली की बात कह रहे थे. उनके मुताबिक दोनों पक्षों को एक दूसरे का यह भरोसा हासिल करना होगा. सेनाध्यक्ष का कहना है कि आपसी विश्वास की बहाली के बाद ही आगे बढ़ सकते हैं. सेनाध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत की प्राथमिकता है कि दोनों पक्ष अप्रैल 2020 वाली स्थिति पर लौटें.

सेना प्रमुख ने मंगलवार को यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन में “परिवर्तन का दशक: भविष्य के साथ कदम मिलाते हुए भारतीय सेना” विषय प्रायोजित कार्यक्रम में यह बातें कहीं. जनरल द्विवेदी का कहना है कि दोनों पक्षों का अप्रैल 2020 की यथास्थिति पर लौटना सबसे जरूरी है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को इस संबंध में एक-दूसरे को आश्वस्त करना होगा. सेनाध्यक्ष के मुताबिक इसके बाद ही अगले चरण की ओर बढ़ा जा सकता है. लंबे समय से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच गतिरोध चल रहा है. चीन ने पूर्वी लद्दाख में भारत की सेनाओं के लाथ गतिरोध समाप्त करने के लिए किए गए समझौता की पुष्टि की है. चीन की ओर से यह पुष्टि मंगलवार को की गई.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, ‘‘भारत और चीन दोनों देशों को सीमा से संबंधित मुद्दों पर राजनयिक और सैन्य माध्यमों के जरिए निकट संपर्क में रहे हैं. अब दोनों पक्ष प्रासंगिक मामलों पर एक समाधान पर पहुंच गए हैं, जिसकी चीन सराहना करता है. चीन इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेगा.”

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