सनातन बोर्ड बनाना आवश्यक है : सुधांशु महाराज

नई दिल्ली, 21 नवंबर . कथावाचक सुधांशु महाराज ने गुरुवार को कहा कि जिस तरह से मुस्लिम समुदाय के बोर्ड होते हैं, ठीक उसी प्रकार से अब हिंदू समुदाय के संरक्षण के लिए भी सनातन बोर्ड की आवश्यकता महसूस की जा रही है.

सुधांशु महाराज ने से बात करते हुए कहा, “हमारे देश के मंदिरों में काम करने वाले पुरोहितों और आरक्षकों को वही सम्मान और वेतन क्यों नहीं दिया जाता, जैसा कि मस्जिदों में कार्य करने वाले मौलवियों को मिलता है. यह सवाल इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये लोग भी गरीब होते हैं और अपनी पूरी जिंदगी संस्कृति, धर्म, सभ्यता और मानवता के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित करते हैं. वे दिन-रात मंदिरों में सेवा करते हैं, जहां वे न केवल धार्मिक कार्यों को पूरा करते हैं, बल्कि समाज में सांस्कृतिक धरोहर को भी बनाए रखने में मदद करते हैं.”

उन्होंने कहा कि ये पुरोहित और आरक्षक कठिन जीवन जीते हुए अपने व्यक्तिगत लाभ की बजाय समाज की भलाई के लिए काम करते हैं. वे देश को जोड़ने, उसके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं. ऐसे में, यह आवश्यक है कि उनकी देखभाल की जाए और उन्हें भी उचित वेतन और सम्मान मिले, जैसा कि अन्य धार्मिक क्षेत्रों में कार्य करने वालों को मिलता है.

उन्होंने कहा, “इतिहास में हम कई बार देख चुके हैं कि जब भी धर्म पर हमला हुआ है, तब इन पुरोहितों और आरक्षकों ने न केवल अपने जीवन को खतरे में डाला है, बल्कि वे समाज के एक अहम हिस्से के रूप में सांस्कृतिक और धार्मिक एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.”

उन्होंने कहा कि कई बार बंगाल, महाराष्ट्र, और अन्य स्थानों पर इस प्रकार की घटनाएं घटी हैं, जब इन मठों और मंदिरों में कार्य करने वाले लोगों पर हमला हुआ है, और कुछ मामलों में उनकी जान भी चली गई है, इसलिए यह बिल्कुल सही है कि इन लोगों को एक मजबूत संरक्षण की आवश्यकता है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए ताकि इनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और उनकी सामाजिक स्थिति भी बेहतर हो. इसके लिए एक सनातन बोर्ड की आवश्यकता है, क्योंकि जैसे अन्य क्षेत्रों में बोर्ड बने हुए हैं, वैसे ही सनातन धर्म और संस्कृति के संरक्षण के लिए एक बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए. इस बोर्ड के माध्यम से उन लोगों को संगठित किया जा सकता है जो धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “यह कहा जा सकता है कि जैसे किसी भी संस्था या समुदाय को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए एक मजबूत संगठन की आवश्यकता होती है, वैसे ही सनातन धर्म और संस्कृति को बचाने और उसे आगे बढ़ाने के लिए एक ऐसा बोर्ड जरूरी है, जो इस काम को सही दिशा में ले जा सके और समाज में इन लोगों के योगदान को सही तरीके से मान्यता प्रदान कर सके.”

एसएचके/एकेजे