यूएन शांति सेना के बेस पर इजरायली हमला, बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को लेकर भारत ने जताई चिंता

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर . भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह लेबनान की दक्षिणी सीमा पर 120 किलोमीटर तक फैली ‘ब्लू लाइन’ पर बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को लेकर चिंतित है. लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूएनआईएफएल) ने गुरुवार को खुलासा किया था कि उसके नकौरा मुख्यालय और आस-पास के ठिकानों इजरायल ने हमला किया है.

यूएनआईएफएल ने कहा कि इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने मर्कवा टैंक से नकौरा में मुख्यालय के एक निगरानी टॉवर को निशाना बनाया. हमले में दो शांति सैनिक सीधे टॉवर पर जा गिरे और घायल हो गए.

यूएन फोर्स में कई भारतीय शांति सैनिक भी शामिल हैं, हालांकि बताया जा रहा है कि वे सुरक्षित हैं.

विदेश मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया, “हम ब्लू लाइन पर बिगड़ती सुरक्षा स्थिति से चिंतित हैं. हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र परिसर की अखंडता का सभी को सम्मान करना चाहिए और यूएन शांति सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए.”

यूएनआईएफएल ने कहा कि आईडीएफ सैनिकों ने लैबौनेह में संयुक्त राष्ट्र के एक ठिकाने पर भी गोलीबारी की, जिसमें बंकर के एंट्री गेट को नुकसान पहुंचा. बंकर में शांति सैनिक शरण लिए हुए थे. हमले में गाड़ियों और संचार प्रणाली को भी नुकसान पहुंचा.

यूएनआईएफएल के एक बयान में कहा गया, “हम आईडीएफ और सभी पक्षों को यूएन कर्मियों और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने और हर समय यूएन परिसर की अखंडता का सम्मान करने के उनके दायित्वों की याद दिलाते हैं.”

बयान में कहा गया, ‘सुरक्षा परिषद के आदेश के तहत यूएनआईएफएल शांति सैनिक दक्षिण लेबनान में मौजूद हैं. शांति सैनिकों पर कोई भी जानबूझकर किया गया हमला अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 का गंभीर उल्लंघन है.”

ब्लू लाइन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2000 में लेबनान के दक्षिण से इजरायली सेना की वापसी की पुष्टि करने के व्यावहारिक उद्देश्य से निर्धारित किया गया था.

यूएनआईएफएल का कहना है कि शांति सैनिक इसके अस्थायी संरक्षक बने हुए हैं, जो इस नाजुक सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने और अनावश्यक उकसावे और घटनाओं से बचने पर ध्यान केंद्रित करते हैं.

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