यरूशलम, 24 जनवरी . इजरायल ने शुक्रवार को घोषणा की कि उसकी सेना युद्धविराम समझौते के 60 दिन के भीतर दक्षिणी लेबनान से पूरी तरह वापसी नहीं करेगी. देश के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने बताया कि इजरायल 26 जनवरी को यह अवधि समाप्त होने के बाद भी वहां अपनी सेना रखेगा.
बताया जा रहा है कि यह निर्णय 27 नवंबर 2024 को हुए संघर्ष विराम समझौते के बाद लिया गया है, जिसमें कहा गया था कि इजरायल को 60 दिन के भीतर अपनी सेना को लेबनान से पूरी तरह से वापस ले लेना चाहिए. यह समय सीमा रविवार को समाप्त हो रही है.
हालांकि, नेतन्याहू के कार्यालय ने स्पष्ट किया कि इजरायल यह समय सीमा को नहीं मानेगा क्योंकि लेबनानी सेना ने अभी तक दक्षिणी लेबनान पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं स्थापित किया है और हिजबुल्लाह ने लिटानी नदी के उत्तर से अपनी सेनाओं को पूरी तरह से पीछे नहीं हटाया है.
नेतन्याहू के कार्यालय ने एक बयान में कहा, “लेबनानी सरकार ने संघर्ष विराम समझौते को पूरी तरह से लागू नहीं किया है, इसलिए इजरायली सैनिकों की वापसी चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगी.”
इसमें यह भी कहा गया है कि इजरायल की वापसी लेबनानी सेना की तैनाती और समझौते के प्रभावी क्रियान्वयन पर निर्भर करेगी, जिसमें हिजबुल्लाह का लिटानी नदी से पीछे हटना भी शामिल है.
यह फैसला अमेरिका के साथ समन्वय में लिया गया है, और यह संकेत करता है कि इजरायल की सेनाओं की वापसी का काम धीरे-धीरे और सावधानीपूर्वक किया जाएगा.
दक्षिणी इजरायल पर 7 अक्टूबर को हमास द्वारा हमले और उसके बाद गाजा में इजरायल की जवाबी कार्रवाई के बाद, इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच सीमा पार से गोलीबारी में बढ़ गई थी. इसके बाद, अक्टूबर 2024 में इजरायल ने दक्षिणी लेबनान में जमीनी आक्रमण किया.
इस बीच, कुवैत के विदेश मंत्री और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के प्रमुख ने शुक्रवार को लेबनान का दौरा किया और युद्ध से तबाह हुए देश के खाड़ी देशों के साथ संबंधों को बहाल करने के प्रयासों के तहत समर्थन का वादा किया.
कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्ला अली अल-याह्या ने बेरूत में लेबनान के राष्ट्रपति मिशेल औन से मुलाकात की और कुवैत की ओर से लेबनान की मदद करने की प्रतिबद्धता को दोहराया.
लेबनानी राष्ट्रपति मिशेल औन ने कुवैत और जीसीसी से मिले समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि उनका देश अपने खाड़ी पड़ोसियों के साथ रिश्तों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह यात्रा सऊदी विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल सऊद की ऐतिहासिक यात्रा के बाद हुई है, जो 15 वर्षों में पहली बार हुई थी.
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पीएसएम/एकेजे