न्यूयॉर्क, 26 सितंबर . इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच अमेरिका और सहयोगी देशों ने 21 दिनों के युद्धविराम की अपील है. इजरायली हमलों की वजह से लेबनान में 600 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.
यह अपील बुधवार को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और कतर की ओर से की गई.
संयुक्त बयान के अनुसार, “8 अक्टूबर 2023 से लेबनान और इजरायल के बीच हालात बर्दाशत से बाहर हैं और इनकी वजह से व्यापक क्षेत्रीय तनाव का जोखिम पैदा हो गया है. यह किसी के हित में नहीं, न ही इजरायल के लोगों के और न ही लेबनान के.”
सहयोगियों ने इस बात पर जोर दिया कि निरंतर संघर्ष के बीच कूटनीति सफल नहीं हो सकती. बयान में कहा गया, “यह समय एक राजनयिक समझौते तक पहुंचने का है, जो सीमा के दोनों ओर के नागरिकों को सुरक्षित अपने घर लौटने की राह तैयार कर सके.”
संयुक्त बयान में कूटनीतिक वार्ता के लिए 21 दिवसीय युद्ध विराम की अपील की गई. यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव (यूएनएससीआर) 1701 के अनुरूप है, जिसने 2006 के इजरायल-हिजबुल्लाह युद्ध को समाप्त किया था.
बयान के मुताबिक, “हम इजरायल और लेबनान की सरकारों सहित सभी पक्षों से अपील करते हैं कि वे तुरंत युद्ध विराम का समर्थन करें और संकट को हल करने के लिए कूटनीति को वास्तविक अवसर प्रदान करें.”
इन देशों ने युद्ध विराम अवधि के भीतर लेबनान और इज़राइल के बीच अंतिम समझौता सुनिश्चित करने के लिए राजनयिक प्रयासों का समर्थन करने का भी वादा किया.
21 दिन के युद्धविराम के प्रस्ताव पर इजरायल, लेबनान या हिजबुल्लाह की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. लेकिन वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया कि कि सभी पक्षों को इस बारे में पता है.
इजरायल और लेबनान के प्रतिनिधियों ने इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की दोहराई थी, जिसके तहत 2006 में इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष समाप्त हुआ था.
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच हालिया संघर्ष का कारण पिछले दिनों लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी को निशाना बनाकर किए गए रहस्यमय विस्फोट हैं. इनमें कई लोग मारे गए और हजारों की संख्या में लोग घायल हो गए.
हिजबुल्लाह ने इन विस्फोटों के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि इजरायल ने धमाकों की जिम्मेदारी नहीं ली.
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