अमेरिकी संसद में पाक सेना प्रमुख पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश, भड़का इस्लामाबाद

इस्लामाबाद, 27 मार्च . पाकिस्तान विदेश कार्यालय (पीएफओ) ने अमेरिकी सांसदों की ओर से संसद में पेश किए गए द्विदलीय विधेयक की निंदा की. पाकिस्तान ने गुरुवार को इस विधेयक को खारिज करते हुए इसे ‘अलग-थलग कार्रवाई’ और व्यक्तियों की निजी राय बताया, जो इस्लामाबाद और वाशिंगटन के बीच द्विपक्षीय संबंधों का प्रतिनिधित्व नहीं करती.

अमेरिकी संसद में पेश किए गए विधेयक में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए सेना प्रमुख सहित देश के सरकारी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की मांग की गई.

पाकिस्तान ने देश की विभिन्न वाणिज्यिक संस्थाओं पर संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर से हाल ही में लगाए गए प्रतिबंधों की भी निंदा की और इसे बिना किसी परामर्श, साक्ष्य या प्रमाण के लिया गया एकतरफा फैसला बताया.

पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, “हमें अमेरिकी कांग्रेस में पेश किए गए विधेयक की जानकारी है. यह व्यक्तियों की राय को दर्शाता है, न कि व्यापक अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों को.”

पाकिस्तान की यह प्रतिक्रिया दो अमेरिकी सांसदों की ओर से प्रतिनिधि सभा में एक विधेयक पेश किए जाने के बाद आई. इसमें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के कथित उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघन के लिए पाकिस्तानी सरकार और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की मांग की गई.

विधेयक में 180 दिनों के भीतर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई, अगर देश अपने मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार करने के लिए कदम उठाने में नाकाम रहता है तो.

‘पाकिस्तान डेमोक्रेसी एक्ट’ नामक विधेयक रिपब्लिकन कांग्रेसी जो विल्सन और डेमोक्रेटिक कांग्रेसी जिमी पैनेटा की ओर से पेश किया गया. बाद में इसे समीक्षा के लिए सदन की विदेश मामलों और न्यायपालिका समिति के पास भेजा गया.

विधेयक में अमेरिका के ‘ग्लोबल मैग्निट्स्की मानवाधिकार जवाबदेही अधिनियम’ को भी लागू करने का प्रावधान है. यह मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपी व्यक्तियों को वीजा और प्रवेश देने से मना करने की अनुमति देता है.

इस विधेयक का प्रतिनिधि सभा और सीनेट की ओर से पारित होना होगा और फिर कानून बनने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित करना होगा.

विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही यह विधेयक समीक्षा से न हो पाए, लेकिन यह निश्चित रूप से पाकिस्तान सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान पर दबाव डालता है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अधिक स्थान और सुविधा दें.

खान को भ्रष्टाचार, देशद्रोह और हिंसा भड़काने के आरोपों में जेल में रखा गया है. उन्होंने और उनकी पार्टी ने सभी आरोपों को मनगढ़ंत और फर्जी करार दिया.

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