इस्लामाबाद, 13 सितंबर . इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने शुक्रवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सांसदों की आठ दिन की रिमांड रद्द कर दी. मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक ने घटना में दर्ज एफआईआर को ‘अच्छी कॉमेडी’ बताया.
जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश फारूक और न्यायमूर्ति समन रफत इम्तियाज की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया.
इस्लामाबाद में पार्टी के विरोध प्रदर्शन के बाद 9 सितंबर को कई पीटीआई नेताओं को गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे. इनमें चुंगी नंबर 26 पर पुलिस पर कथित हमला भी शामिल था. यहां पीटीआई कार्यकर्ताओं और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प हुई थी.
एंटी टेररिज्म कोर्ट ने 10 सितंबर को पुलिस हमले के मामले में पीटीआई नेताओं- शेर अफजल मारवात, जैन कुरैशी, आमिर डोगर, नसीम शाह, अहमद चट्ठा, शेख वकास अकरम और शोएब शाहीन को आठ दिन की हिरासत में भेज दिया.
मामला जब उच्च न्यायालय के सामने आया तो मुख्य न्यायाधीश फारूक ने कहा कि जिसने भी प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) लिखी है, उसे एक अच्छी कॉमेडी लिखने का श्रेय दिया जाना चाहिए. उन्होंने एक साथ कई विपक्षी सांसदों की गिरफ्तारी को ‘अभूतपूर्व घटना’ बताया.
चीफ जस्टिस ने कहा, “राज्य को इस पर जवाब देना चाहिए कि ऐसा क्या हुआ था कि उनमें से प्रत्येक को आठ दिनों की रिमांड दी गई.”
इस्लामाबाद के अभियोक्ता जनरल ने जब एफआईआर पढ़ी तो मुख्य न्यायाधीश ने चुटकी लेते हुए कहा कि इसका लेखक एक दिलचस्प व्यक्ति है. उसने शोएब शाहीन (वरिष्ठ वकील) पर पिस्तौल रखने का आरोप लगाया. क्या मैं शोएब शाहीन को नहीं जानता? उसने गौहर खान (एक अन्य वरिष्ठ वकील) पर भी अपनी जेब से पिस्तौल निकालने का आरोप लगाया. क्या आप और मैं गौहर को नहीं जानते. उन्होंने पूछा, “आपने अभी जो कॉमेडी पढ़ी है, उससे क्या निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए.”
अभियोक्ता जनरल ने जब कहा कि पीटीआई अध्यक्ष गौहर खान के पास से एक डंडा बरामद किया गया है, तो सीजे फारूक और कोर्ट में मौजूद अन्य लोग जोर से हंसने लगे.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि “मनगढ़ंत कहानी पर एक फिल्म बनाई जा सकती है क्योंकि यह आकर्षण पैदा करती है.”
चीफ जस्टिस ने कहा कि पीटीआई नेताओं की गिरफ्तारी को चार दिन हो चुके हैं और जांचकर्ताओं ने वह सब कुछ कर लिया है जो वे करना चाहते थे, तो मामले में ‘बेतुके आरोपों’ के आधार पर आठ दिनों की रिमांड क्यों दी गई? उन्होंने कहा, “भले ही आरोपों को सच मान लिया जाए, लेकिन यह एक प्रक्रिया के तहत होना चाहिए था.”
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एमके/जीकेटी