ईरानी विदेश मंत्री मिस्र में आईएईए प्रमुख से करेंगे मुलाकात, काहिरा ने की पुष्टि

काहिरा, 9 सितंबर . मिस्र के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि काहिरा में ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी के बीच एक बैठक होगी. दो महीने पहले तेहरान ने एजेंसी से दूरी बना ली थी.

मिस्र के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बैठक Tuesday को होगी, जिसकी एजेंसी ने घोषणा पहले ही कर दी थी, और इसका हिस्सा मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती भी बनेंगे.

ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी (आईआरएनए) ने भी इसकी पुष्टि की है. बताया, “काहिरा की यात्रा के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक के साथ एक बैठक होगी जिसमें ईरान और एजेंसी के बीच बातचीत के लिए एक नए प्रोटोकॉल पर बातचीत पूरी की जाएगी.”

ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी (आईआरएनए) ने बताया, “काहिरा की यात्रा के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक के साथ एक बैठक होगी जिसमें ईरान और एजेंसी के बीच बातचीत के लिए एक नए प्रोटोकॉल पर बातचीत पूरी की जाएगी.”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माएल बाकेई ने कहा कि विदेश मंत्री अब्बास अराघची इस सप्ताह ट्यूनीशिया और मिस्र की यात्रा करेंगे.

बाकेई ने Monday को बताया कि ये यात्राएं ईरान की उस कोशिश का हिस्सा हैं जिसके तहत वो क्षेत्रीय और इस्लामी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं. काहिरा में अपने प्रवास के दौरान, अराघची अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी से मुलाकात करेंगे ताकि ईरान और एजेंसी के बीच सहयोग के नए ढांचे पर चर्चा को अंतिम रूप दिया जा सके.

बाकेई ने नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्री अब्बास अराघची की यूरोपीय संघ के विदेश मामलों और सुरक्षा नीति के उच्च प्रतिनिधि काजा कल्लास के साथ हुई बैठक का जिक्र कर उसे बहुत उपयोगी बताया.

उन्होंने कहा, “हम देशहित में अपनी मांगों को व्यक्त करने और तीन यूरोपीय देशों की ओर से ‘स्नैपबैक मैकेनिज्म’ के दुरुपयोग से एजेंसी को अवगत कराना अपना दायित्व समझते हैं.” उन्होंने आशा व्यक्त की कि यूरोपीय देश टकराव के रुख के परिणामों को ठीक से समझकर अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाएगा.

दरअसल, स्नैपबैक मैकेनिज्म (तंत्र) एक प्रक्रिया है जो ईरान के परमाणु समझौते में शामिल किसी भी देश को ईरान पर पहले से हटाए गए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने की इजाजत देती है. इसके मुताबिक अगर ईरान समझौते की अहम शर्तों का उल्लंघन करता है, तो उस पर पाबंदी लगाई जा सकती है.

जून में इजरायल के साथ 12 दिनों की जंग के बाद ईरान ने सभी तरह के संबंध तोड़ लिए थे, और आईएईए प्रमुख के बीच यह पहली बैठक होगी. इस युद्ध के दौरान इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला किया था.

ईरान पर वर्तमान में 2015 के परमाणु समझौते का पालन करने और निरीक्षण फिर से शुरू करने का दबाव बढ़ रहा है, क्योंकि ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने समझौते के तहत संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के लिए कदम उठाए हैं.

Monday को, ग्रॉसी ने कहा कि ईरान और आईएईए के बीच वार्ता में प्रगति हुई है, लेकिन अभी तक समझौता नहीं हो पाया है और समय कम होता जा रहा है.

केआर/