तेहरान, 3 मार्च . ईरान के उपराष्ट्रपति जावेद जरीफ ने सोमवार को कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के प्रशासन पर दबाव कम करने में मदद के लिए अपना पद छोड़ा. पिछले साल अगस्त में अपनी नियुक्ति के बाद से उन्होंने रविवार रात को दूसरी बार इस्तीफा दिया. उनका कहना है कि देश की न्यायपालिका के प्रमुख की सलाह पर उन्होंने यह कदम उठाया.
जरीफ ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि उन्होंने शनिवार को ईरानी न्यायपालिका प्रमुख गुलाम-होसैन मोहसेनी एजेई से मुलाकात की.
उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान, एजेई ने सलाह दी कि ‘देश की परिस्थितियों को देखते हुए, मैं प्रशासन को ज्यादा दबाव से बचाने के लिए विश्वविद्यालय में (अध्यापन) वापस लौट जाऊं.’
जरीफ ने कहा कि उन्होंने सलाह को तुरंत मान लिया क्योंकि वह हमेशा ‘मदद करना चाहते थे, बोझ नहीं बनना चाहते थे.’ उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रशासन छोड़ने से ‘लोगों की इच्छा और प्रशासन की सफलता’ को साकार करने में बाधा डालने वालों के बहाने खत्म हो जाएंगे.
आधिकारिक समाचार एजेंसी आईआरएनए के मुताबिक जरीफ ने कहा, “मुझे आदरणीय डॉ. पेजेशकियन का समर्थन करने पर गर्व है. मैं उन्हें और जनता के अन्य सच्चे सेवकों को शुभकामनाएं देता हूं.”
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन, जिन्हें जरीफ का इस्तीफा पत्र मिला है, ने अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
आईआरएनए के अनुसार, “जब से जरीफ को उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया, वह संसद में सांसदों के एक समूह की कड़ी आलोचना का शिकार रहे, जिनका तर्क था एक संवेदनशील पद पर उनकी नियुक्ति अवैध है क्योंकि उनके कम से कम एक बच्चे के पास अमेरिकी नागरिकता है. ईरानी कानून के अनुसार, ऐसे व्यक्ति जिनके पास विदेशी नागरिकता है या जिनके निकटतम परिवार के सदस्यों के पास ऐसी नागरिकता है, उन्हें ईरानी सरकार में संवेदनशील पदों पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है.”
ईरान की फार्स समाचार एजेंसी ने बताया कि प्रशासन के कार्यकाल की शुरुआत से ही कई ईरानी सांसदों की इस पद के लिए उनकी ‘अवैध’ नियुक्ति पर नजर थी.
पेजेशकियन ने अगस्त 2024 में जरीफ, [जो पूर्व विदेश मंत्री थे], को रणनीतिक मामलों के लिए उपाध्यक्ष और सामरिक अध्ययन केंद्र का प्रमुख नियुक्त किया.
हालांकि, जरीफ ने अपनी नियुक्ति के 10 दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया क्योंकि वह नए ईरानी प्रशासन के कैबिनेट सदस्यों का चयन करने वाली संचालन परिषद के प्रमुख के रूप में ‘अपने काम के परिणाम से संतुष्ट नहीं थे.’ बाद में उन्होंने पेजेशकियन के ‘विवेकपूर्ण’ परामर्श के बाद अपना इस्तीफ़ा वापस ले लिया.
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