तेहरान, 26 फरवरी . ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने कहा कि ईरान बाहरी दबाव या प्रतिबंधों का सामना करते हुए अपने परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत नहीं करेगा. उन्होंने तेहरान में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह घोषणा की.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, अराघची ने मंगलवार को कहा कि ईरान तब तक अमेरिका के साथ सीधी बातचीत नहीं करेगा, जब तक वाशिंगटन अपने ‘अधिकतम दबाव’ वाले प्रतिबंधों को समाप्त नहीं कर देता.
अमेरिका ने 2015 के परमाणु समझौते, जिसे संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) कहा जाता है को 2018 में छोड़ दिया और फिर से प्रतिबंध लगा दिए. इसके बाद तेहरान को समझौते के तहत अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं को कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
अराघची ने कहा, “दबाव, धमकियों और प्रतिबंधों के तहत बातचीत बेकार है.” उन्होंने यह भी कहा कि ईरान ने जेसीपीओए को फिर से जीवित करने के लिए मॉस्को के साथ ‘गहन बातचीत’ की है.
समझौते को बहाल करने की कोशिशें 2021 में शुरू हुईं, लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली.
अपनी ओर से लावरोव ने समझौते को बचाने के लिए कूटनीतिक उपायों का समर्थन करते हुए कहा, “हम मानते हैं कि बिना किसी धमकी या दबाव के समझौते को फिर से जीवित करने की कूटनीतिक क्षमता अभी भी मौजूद है.” उन्होंने समाधान के लिए मॉस्को का समर्थन देने का वचन दिया और कहा, “यह संकट ईरान द्वारा नहीं पैदा किया गया है.”
मंत्रियों ने गाजा और सीरिया जैसे क्षेत्रीय संघर्षों पर भी चर्चा की, जिसमें ईरान ने सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया.
लावरोव ने अराघची के साथ बातचीत को “व्यापक, फलदायी और रचनात्मक” बताया. उन्होंने 2024 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में 13 प्रतिशत की वृद्धि का जिक्र करते हुए सहयोग में हुई प्रगति पर ध्यान दिया.
रूसी सरकारी मीडिया के अनुसार, लावरोव ने तेहरान पर लगाए गए एकतरफा प्रतिबंधों की आलोचना की और इसे ‘अस्वीकार्य’ बताया. दोनों पक्षों ने प्रतिबंधों के प्रभावों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई.
लावरोव ने मंगलवार को ऊर्जा, व्यापार और क्षेत्रीय सुरक्षा पर बातचीत के लिए तेहरान का दौरा किया. इसके बाद, वे अपनी मध्य पूर्व की कार्य यात्रा जारी रखने के लिए कतर गए.
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एसएचके/एमके