लखनऊ, 22 जुलाई . उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ रोड पर सरोजनीनगर तहसील के भटगांव में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से संबद्ध आईआर डिटेक्शन टेक्नोलॉजी केंद्र की स्थापना होगी. इस परियोजना के लिए डीआरडीओ से संबद्ध यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आईआरडीई) को एक रुपए वार्षिक लीज रेंट पर 10 हेक्टेयर भूमि दी जाएगी. मंत्रिपरिषद की बैठक में Tuesday को इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई.
इस केंद्र की स्थापना पर 2000 करोड़ रुपए खर्च होंगे और यह डीआरडीओ की मदद से स्थापित होगा. यहां सेमीकंडक्टर आईआर डिटेक्टरों का निर्माण किया जाएगा, जिससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे.
इसे लेकर यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश पर डीआरडीओ ने आईआर डिटेक्टरों के विकास व निर्माण के लिए स्वदेशी फैब लाइन की नई परियोजना के तहत प्रयोगशाला की स्थापना के लिए State government से भूमि की मांग की थी. इस प्रयोगशाला में सेमीकंडक्टर आईआर डिटेक्टरों का निर्माण किया जाएगा. ब्रह्मोस मिसाइल सहित कई रक्षा उपकरणों में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत विदेश से आईआर डिटेक्टरों की 5,000 से अधिक यूनिट आयात करता है. आईआर डिटेक्शन टेक्नोलॉजी केंद्र की स्थापना के बाद आईआर डिटेक्टरों की 1,000 यूनिट का निर्माण प्रतिवर्ष किया जाएगा. भविष्य में इसका विस्तार कर 10,000 यूनिट का निर्माण किए जाने का लक्ष्य रखा गया है. आईआर डिटेक्शन टेक्नोलॉजी केंद्र में थर्मल इमेजिंग सिस्टम और मल्टीसेंसर सर्विलांस सिस्टम को भी रक्षा उपकरण के रूप में विकसित किया जाएगा.
नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने आगे कहा कि इसकी स्थापना से 150 इंजीनियरों व 500 से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आईआरडीई) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक प्रयोगशाला है, जो आईआर डिटेक्शन टेक्नोलॉजी पर काम करती है. इसका मुख्य उद्देश्य उन्नत नाइट विजन डिवाइस, थर्मल इमेजर्स और लेजर आधारित उपकरणों को डिजाइन और विकसित करना है. यह केंद्र, ब्रह्मोस मिसाइल समेत कई रक्षा उपकरणों के लिए आईआर डिटेक्टरों का उत्पादन करेगा, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी.
—
विकेटी/डीकेपी