इप्सोस सर्वे : पश्चिमी देशों की आधी आबादी को लोकतंत्र टूटा नजर आता है, सरकारों पर भरोसा कम

बीजिंग, 16 नवंबर . पॉलिटिको के यूरोपीय संस्करण में 14 नवंबर को प्रकाशित एक रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण संस्था इप्सोस के नए अध्ययन का हवाला दिया गया है.

रिपोर्ट बताती है कि पश्चिमी देशों में आधी आबादी का मानना है कि उनका लोकतंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा और बड़ी संख्या में लोग महसूस करते हैं कि उनकी Governmentें उनकी इच्छाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं.

इप्सोस ने 12 से 19 सितंबर के बीच यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, स्पेन, इटली, स्वीडन, क्रोएशिया, नीदरलैंड और पोलैंड सहित नौ देशों में 9,800 से अधिक मतदाताओं का सर्वेक्षण किया. निष्कर्ष बताते हैं कि औसतन 45 प्रतिशत लोग अपने देश की लोकतांत्रिक स्थिति से असंतुष्ट हैं.

इप्सोस यूके के राजनीति संबंधी वरिष्ठ निदेशक गिदेओन स्किनर का कहना है कि लोकतांत्रिक ढांचा कैसे काम करता है, इसे लेकर आम जनता की चिंता बढ़ रही है, विशेषकर इस बात पर कि उनकी आवाज को Governmentें कितना महत्व देती हैं. फर्जी खबरें, गलत सूचना, राजनेताओं की जवाबदेही की कमी और चरमपंथ का बढ़ता प्रभाव लोगों की सबसे बड़ी चिंताएं हैं.

सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि ज्यादातर देशों में लोग चाहते हैं कि प्रणालियों में बुनियादी स्तर पर बदलाव आए. सर्वेक्षण के दायरे में आए नौ देशों में से किसी एक में भी आधे से अधिक मतदाताओं को यह भरोसा नहीं था कि उनकी Government उनके विचारों का सही प्रतिनिधित्व करती है.

क्रोएशिया और यूके में स्थिति सबसे कमजोर दिखी, जहां सिर्फ 23 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अपनी Government को अपने प्रतिनिधि के रूप में देखा.

अधिकांश प्रतिभागियों ने माना कि लोकतंत्र के लिए सबसे गंभीर जोखिम गलत सूचना, भ्रष्टाचार, राजनेताओं की जवाबदेही में कमी और चरमपंथी राजनीति का उभार है.

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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