शहादत की बरसी पर शिद्दत से याद आए आईपीएस रणधीर वर्मा, आतंकियों का मंसूबा किया था नाकाम

धनबाद, 3 जनवरी . 3 जनवरी, 1991 की तारीख का जब भी जिक्र होता है, धनबाद शहर की स्मृतियों में दर्ज एक आईपीएस की शहादत की दास्तान के पन्ने खुद-ब-खुद सामने आने लगते हैं. उस नायक का नाम था रणधीर वर्मा. धनबाद जिले के एसपी के रूप में पोस्टेड इस जांबाज अफसर ने आज से ठीक 34 साल पहले शहादत देकर खालिस्तानी आतंकियों के नापाक मंसूबे को नाकाम कर दिया था.

शुक्रवार को झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार सहित बड़ी संख्या में लोग धनबाद में शहीद रणधीर वर्मा के स्मारक पर जुटे और श्रद्धा के फूल चढ़ाकर उन्हें याद किया. श्रद्धांजलि सभा में दिवंगत रणधीर वर्मा की पत्नी और धनबाद की पूर्व सांसद रीता वर्मा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

शुक्रवार को आयोजित श्रद्धांजलि सभा में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा, ”रणधीर वर्मा ने बैंक लूट की घटना को नाकाम करते हुए अपने कर्तव्य और देशप्रेम का सर्वोच्च उदाहरण प्रस्तुत किया था. उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्रप्रेम किसी भी परिस्थिति में सर्वोपरि है.”

दरअसल, 80-90 के दशक में खालिस्तानी आतंकी अपने आतंक का साम्राज्य पंजाब के बाहर देश के दूसरे राज्यों में फैलाने के मंसूबों में जुटे थे. उन्होंने अपने संगठन को आर्थिक ताकत देने के लिए लूट-डकैती जैसी घटनाओं को अंजाम देने की योजना बनाई थी. कोयले की प्रचुर संपदा के कारण तत्कालीन बिहार में आर्थिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र रहा धनबाद शहर भी इन आतंकियों के निशाने पर था. उस रोज सुबह के करीब दस बजे धनबाद के एसपी रणधीर वर्मा को किसी ने फोन किया कि हीरापुर बिनोद मार्केट स्थित बैंक आफ इंडिया में डकैत घुस गए हैं. दरअसल, ये खालिस्तानी आतंकी थे, जो बैंक लूटने पहुंचे थे.

सूचना मिलते ही रणधीर वर्मा अपनी पिस्टल और एक बॉडीगार्ड को लेकर सीधे बैंक पहुंच गए. बैंक पहले तल पर था. सभी आतंकी एके-47 से लैस थे. रणधीर वर्मा अपनी पिस्टल निकालकर डकैतों को ललकारते हुए सीढ़ी पर चढ़े. उसी दौरान ऊपर मौजूद एक आतंकवादी ने उन्हें गोली मार दी. गोली लगते ही वे गिर पड़े, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने अपनी पिस्टल से फायर कर एक आतंकी को ढेर कर दिया.

घबराए आतंकियों ने बैंक में मौजूद इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स के एक कर्मी श्यामल चक्रवर्ती की भी गोली मारकर हत्या कर दी. एसपी रणधीर वर्मा के बॉडीगार्ड को भी गोली लगी. इस मुठभेड़ के बीच धनबाद थाना की पुलिस मौके पर पहुंची. खुद को घिरता देख आतंकी भागने लगे. पुलिस ने इनमें से एक को मार गिराया.

आतंकियों का एक ग्रुप उसी दिन पश्चिम बंगाल में पुरुलिया जिले के बलरामपुर में था. धनबाद में पुलिस के साथ मुठभेड़ की खबर जब उन आतंकियों तक पहुंची तो प्रतिशोध में उन्होंने वहां के पुलिस बल पर हमला कर दिया. हालांकि, पुलिस की जवाबी कार्रवाई में बलरामपुर में सभी आतंकी मारे गए थे. उनके पास से मिले दस्तावेजों से पता चला था कि वह खालिस्तान कमांडो फोर्स के सदस्य थे.

खालिस्तानी आतंकियों से लड़ते हुए शहादत देने वाले रणधीर वर्मा को मरणोपरांत अशोक-चक्र से सम्मानित किया गया था. वह देश के पहले असैनिक अधिकारी थे, जिन्हें इस सम्मान से नवाजा गया था. भारत सरकार ने सन 2004 में उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था.

रणधीर वर्मा की शहादत के बाद बिहार सरकार ने धनबाद स्थित गोल्फ ग्राउंड का नामकरण उनके नाम पर किया था. धनबाद शहर के बीचो-बीच जिला मुख्यालय से कोई 500 गज की दूरी के चौराहे पर उनकी आदमकद प्रतिमा लगाई गई, जहां हर साल शहादत दिवस पर विशेष कार्यक्रम होता है.

एसएनसी/एबीएम