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Mumbai , 23 नवंबर . Bollywood की दुनिया में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो सिर्फ फिल्मों के लिए ही नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी के रंगीन किस्सों के लिए भी याद किए जाते हैं. सलीम खान भी ऐसे ही एक सितारे हैं. उनकी फिल्मों के साथ-साथ उनकी जिंदगी की कई रोचक बातें भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हैं. सलीम खान बचपन में दोस्तों के लिए लव लेटर लिखा करते थे. इसी ने उन्हें धीरे-धीरे Bollywood की कहानियों तक पहुंचा दिया.
सलीम खान का जन्म 24 नवंबर 1935 को Madhya Pradesh के इंदौर जिले में हुआ था. उनके बचपन की कहानी जितनी दिल को छू लेने वाली है, उतनी ही प्रेरणादायक भी. सलीम जब महज चार साल के थे, तब उनकी मां का निधन टीबी के कारण हो गया था और 14 साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया हट गया था. ऐसे में उनके बड़े भाई ने उनकी परवरिश की.
सलीम के लेखनी की शैली बचपन से ही शानदार थी. इंदौर में अपने दोस्तों के लिए वह लव लेटर लिखा करते थे. उनके शब्द इतने अच्छे और भावनात्मक होते थे कि दोस्तों की गर्लफ्रेंड्स भी खुश हो जाती थीं. इस लिखने की शैली ने उनकी कहानी कहने की कला को भी मजबूत किया. छोटे-छोटे किस्से और लोगों के दिल की भावनाओं को समझना, इन खूबियों ने उन्हें बाद में फिल्मों की कहानियां लिखने में मदद की.
सलीम खान ने 1960 में फिल्म ‘बारात’ से Mumbai में एक्टिंग की शुरुआत की. फिल्म के निर्देशक के. अमरनाथ थे. हालांकि, एक्टिंग में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली, लेकिन यही समय उनके लिए सीखने और समझने का था. फिल्मों में छोटे-छोटे रोल निभाते-निभाते उन्होंने महसूस किया कि उनकी असली ताकत लिखने में है.
इसके बाद सलीम ने लेखन की दुनिया में कदम रखा. उन्होंने जावेद अख्तर के साथ मिलकर कई सुपरहिट फिल्में लिखीं. ‘जंजीर’, ‘शोले’, ‘दीवार’, ‘क्रांति’, ‘सीता और गीता’, और ‘यादों की बारात’ जैसी फिल्में उनकी और जावेद अख्तर की जोड़ी की अनमोल देन हैं. इनके संवाद और कहानियां आज भी लोगों के दिल में बसती हैं. Bollywood में इस जोड़ी की फीस और लोकप्रियता इतनी थी कि कभी-कभी यह एक्टर्स से भी आगे निकल जाती थी.
सलीम खान ने करियर में कई पुरस्कार और सम्मान भी हासिल किए. उनकी लिखी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड बनाए और फिल्म इंडस्ट्री में उनका नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया. वह आज भी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.
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पीके/एबीएम