‘इंदिरा इज इंडिया’ का नारा अहंकार की पराकाष्ठा : ज्योतिरादित्य सिंधिया

गुना, 27 जून . केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को कांग्रेस की तीखी आलोचना की. उन्होंने पार्टी पर निजी सत्ता को जनहित से ऊपर रखने का आरोप लगाया, खासकर राजनीतिक उथल-पुथल के समय.

आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) द्वारा आयोजित युवा संसद कार्यक्रम में बोलते हुए सिंधिया ने 1975 के कुख्यात नारे, ‘इंदिरा इज इंडिया’ और ‘इंडिया इज इंदिरा’ का हवाला देते हुए इसे राजनीतिक अहंकार की पराकाष्ठा बताया.

सिंधिया ने कहा कि जब कांग्रेस का सिंहासन हिलने लगता है, तो पार्टी सार्वजनिक मुद्दों को दरकिनार कर देती है और उस पर बैठे व्यक्ति से चिपक जाती है. उन्होंने कांग्रेस के ऐतिहासिक आचरण और भाजपा की राष्ट्र प्रथम विचारधारा के बीच बड़े अंतर को रेखांकित किया.

उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल को एक ऐसा दौर बताया, जब लोकतंत्र का गला घोंटा गया, नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया और असहमति को दबा दिया गया.

साल 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने अपनी पूर्व पार्टी पर बार-बार लक्ष्मण रेखा पार करने का आरोप लगाया, जो लोकतांत्रिक नेतृत्व को सत्तावादी अतिक्रमण से अलग करती है.

उन्होंने आरोप लगाया कि आपातकाल के आधी सदी के बाद भी कांग्रेस का वैचारिक सार अपरिवर्तित है और वह लोकतांत्रिक जवाबदेही पर वंशवादी वफादारी को प्राथमिकता दे रही है.

मंत्री ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि वह बीआर अंबेडकर के प्रति चुनिंदा श्रद्धा रखती है.

उन्होंने दावा किया कि जो पार्टी अब ग्वालियर उच्च न्यायालय में अंबेडकर की प्रतिमा की मांग कर रही है, उसी ने एक बार बाबा साहेब को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया था और चुनाव में उन्हें हराने के लिए उम्मीदवार खड़े किए थे.

केंद्रीय मंत्री सिंधिया की टिप्पणी 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने के भाजपा के व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जनता को उस बात की याद दिलाना है जिसे पार्टी भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय कहती है. इस बीच, कांग्रेस ने भाजपा पर वर्तमान शासन विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए इतिहास को हथियार बनाने का आरोप लगाया है.

सिंधिया ने कहा कि “मेरी दादी विजया राजे सिंधिया ने अटल बिहारी वाजपेयी और अन्य लोगों के साथ मिलकर आपातकाल का कड़ा विरोध किया था. उन्होंने उनकी आवाज दबाने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो सके. यह सिंधिया परिवार है और मैं आज कांग्रेस को यह बताना चाहता हूं.”

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने भाजपा पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया है.

सिंधिया ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा, “वह कहते हैं कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया गया और विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है. फिर, मैं कहूंगा कि उन्हें आपातकाल के दौरान लोगों के दमन के बारे में सोचना चाहिए.”

इस बीच, भाजपा नेता ने कांग्रेस नीत विपक्षी गुट पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि इनमें से कई राजनीतिक दलों के संस्थापक सदस्यों को आपातकाल के 21 महीनों के दौरान जेल भेज दिया गया था.

भोपाल में आयोजित इसी तरह के एक कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन पर वही तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया जो उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में अपनाया था.

पीएसके/एकेजे