नई दिल्ली, 31 अक्टूबर . भारत का सेवा निर्यात इस दशक के अंत तक विनिर्माण निर्यात को पार करने वाला है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के निदेशक सेंथिल नाथन एस ने सेवाओं के निर्यात पर वैश्विक सम्मेलन में कहा कि सेवा निर्यात में तेजी से वृद्धि हो रही है. यह वृद्धि सेवा क्षेत्र में डिजिटलीकरण और तकनीकी प्रगति के कारण हुई है, जिससे भारत को विश्व सेवा व्यापार में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है.
उन्होंने आगे कहा कि भारत की सेवा निर्यात वृद्धि दर विश्व सेवा निर्यात वृद्धि दर से अधिक है और देश ने विश्व सेवा निर्यात में अपनी हिस्सेदारी में बढ़त हासिल की है. इस परिवर्तन को विनिर्माण से सहयोग मिल रहा है. विनिर्माण में एआई, आईओटी और 3डी प्रिंटिंग जैसी तकनीकों के कारण सेवा-आधारित मॉडल अपनाया जा रहा है, जिससे उत्पादन प्रक्रिया बदल रही है और हम विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो रहे हैं.
नाथन ने कहा कि कौशल विकास और पुनः कौशल विकास के प्रयासों से हमारी अर्थव्यवस्था कौशल अंतराल को पूरा कर सकती है और इंजीनियरिंग दक्षता में नए मानक स्थापित कर सकती है. यह भारत के निर्यात और वैश्विक स्थिति को बढ़ावा देने में मददगार होगा. मेरा मानना है कि सरकार, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सही तालमेल के साथ, हम अपनी प्रतिभा को मजबूत कर रहे हैं.
एसईपीसी के महानिदेशक अभय सिन्हा ने कहा कि भारत के सेवा निर्यात में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जो 2022-23 में 325 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2023-24 में अनुमानित 341 बिलियन डॉलर हो गया है. उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग सेवा क्षेत्र ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो इसी अवधि में 31 बिलियन डॉलर से बढ़कर 35 बिलियन डॉलर हो गया है.
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के और अधिक बढ़ने का अनुमान है, यदि 18 प्रतिशत की सीएजीआर को बनाए रखा जाए तो यह 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. एसईपीसी में डिजाइन और इंजीनियरिंग सेवा प्रमुख और टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स के प्रबंध निदेशक अमित शर्मा ने कहा कि भारत इंजीनियरिंग सेवाओं द्वारा संचालित एक संपन्न सेवा निर्यात अर्थव्यवस्था देख रहा है, जिसने अनुमानित 34 बिलियन डॉलर उत्पन्न किया है, जो 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है.
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एसकेटी/एबीएम