New Delhi, 20 अगस्त . भारत का रिन्यूएबल सेक्टर मजबूत बना हुआ है क्योंकि स्वस्थ पूंजी संरचना और पर्याप्त लिक्विडिटी बफर सेक्टर की क्रेडिट प्रोफाइल को सपोर्ट कर करे हैं. यह जानकारी Wednesday को आई एक रिपोर्ट में दी गई.
क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, पिछले पांच वित्त वर्षों में भारत में 60 प्रतिशत से अधिक विंड एसेट्स औसतन अपने पी90 स्तर से पीछे रहे, जिसका मुख्य कारण अपेक्षा से कम विंड स्पीड है, जो जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय मौसम पैटर्न का परिणाम है.
क्रिसिल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “हालांकि, इस कमजोर प्रदर्शन की भरपाई रिन्यूएबल एनर्जी मिक्स में सोलर पावर की हिस्सेदारी में वित्त वर्ष 2020 के लगभग 50 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 65 प्रतिशत से अधिक हो जाने से हुई है, जिसने पी90 बेंचमार्क के मुकाबले बेहतर परिचालन प्रदर्शन दिखाया है और इस क्षेत्र के परिचालन प्रदर्शन को अपेक्षाकृत स्थिरता प्रदान की है.”
350 से ज्यादा सोलर और विंड प्रोजेक्ट का विश्लेषण यही संकेत देता है, जिनमें 12.5 गीगावाट सोलर एसेट्स और 8 गीगावाट विंड एसेट्स शामिल हैं, जिनका परिचालन ट्रैक रिकॉर्ड कम से कम एक साल का है.
पी90 मीट्रिक किसी परियोजना की वित्तीय स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक है, क्योंकि इसका इस्तेमाल आमतौर पर ऋणदाता और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां परियोजना के भविष्य में ऋण चुकौती के लिए उपलब्ध नकदी प्रवाह का अनुमान लगाने के लिए करती हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सोलर इरेडिएशन/विंड पैटर्न के आधार पर, स्वतंत्र एजेंसियां पी-90 का अनुमान लगाती हैं, जो पीएलएफ के उस स्तर को दर्शाता है, जिसके 90 प्रतिशत समय में प्राप्त होने की उम्मीद है.
ध्यान दें, पी90 स्तर से 1 प्रतिशत कम उत्पादन से ऋण सेवा कुशन में 3-5 प्रतिशत की कमी और इक्विटी पर रिटर्न में 1-2 प्रतिशत की कमी हो सकती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विंड जनरेशन का प्रदर्शन पिछले कुछ समय से कमजोर रहा है, पिछला वित्त वर्ष पिछले पांच वर्षों में सबसे कमजोर रहा, जहां केवल 20 प्रतिशत क्षमताएं ही पी90 मानक को पूरा कर पाए.
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक अंकित हखू ने कहा, “वित्त वर्ष 2025 के दौरान 45 प्रतिशत विंड एसेट्स अपने पी90 स्तर से 3 प्रतिशत अंक से अधिक पीछे रहे. इस बीच, केवल 8 प्रतिशत सोलर एसेट्स अपने पी90 स्तर से 1 प्रतिशत अंक और शेष 1-33 प्रतिशत अंक पीछे रहे.”
इसके विपरीत, हमारी स्टडी से पता चला है कि 77 प्रतिशत सोलर एसेट्स अपने पी90 स्तर को पूरा कर पाए, जो पिछले पांच वित्ती वर्षों के औसत के अनुरूप है.
क्रिसिल रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर अंकुश त्यागी ने कहा, “लीडिंग डेवलपर्स ने 5-5.5 गुना का कंफर्टेबल ऑपरेटिंग लेवरेज (परिचालन परिसंपत्तियों के लिए ऋण और एबिटा का अनुपात) बनाए रखा है, जिससे औसतन 1.2-1.3 गुना का पर्याप्त नकदी प्रवाह सुनिश्चित हुआ है, ताकि अपेक्षा से कम उत्पादन के प्रभाव को कम किया जा सके.”
फिर भी, विंड पावर ग्रिड बैलेंसिंग के लिए आवश्यक बनी हुई है क्योंकि रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग रुक-रुक कर होता है.
सोलर एसेट्स दिन के समय पावर जनरेट करते हैं, जबकि विंड एसेट्स शाम और रात के समय पावर जनरेट करते हैं. इसके अलावा, लो सोलर जनरेशन जैसे मानसून सीजन में भी विंड एसेट्स काम करते हैं.
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एसकेटी/