नई दिल्ली, 10 अक्टूबर . भारत के फार्मास्यूटिकल्स और मेडिटेक सेक्टर का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में एक बड़ी उपलब्धि रही. इस उपलब्धि के साथ यह देश का चौथा सबसे बड़ा सेक्टर बन गया. फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव अरुणीश चावला ने इस उपलब्धि को साझा करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद चालू वित्त वर्ष में यह वृद्धि जारी रहेगी.
चावला ने सीआईआई फार्मा एवं लाइफ साइंसेज शिखर सम्मेलन में कहा कि देश में औषधि विकास के लिए उद्योग को समर्थन देने के सरकार के प्रयास फलदायी साबित हो रहे हैं. इसी के साथ कैंसर, मधुमेह, एचआईवी और तपेदिक सहित विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों के लिए लक्षित 16 ब्लॉकबस्टर मॉलिक्यूल भारत में उत्पादित किए जाने की योजना बनाई जा रही है. ये 16 दवाएं 25 अणुओं की एक बड़ी सूची का हिस्सा हैं, जो अगले कुछ वर्षों में पेटेंट से बाहर हो जाएंगी, जिससे भारतीय फार्मा क्षेत्र को एक सीधा अवसर मिलेगा.
इन 16 अणुओं को विकसित करने वाली कंपनियों के नाम की जानकारी तो नहीं दी गई, लेकिन यह साफ किया गया है कि ये सभी भारतीय कंपनियां हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने पहले ही कुछ अणुओं को मंजूरी दे दी है, जिससे उद्योग को समय के भीतर इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ बनाने में मदद मिलेगी.
चावला ने वैश्विक मंदी के बीच फार्मा उद्योग की निर्यात संभावनाओं पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, “हम हालिया आंकड़ों में निर्यात प्रवृत्तियों का विश्लेषण कर रहे हैं. हालांकि, वैश्विक स्तर पर निर्यात में सामान्य मंदी है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि भारतीय फार्मास्यूटिकल्स, बायोटेक और थोक दवा निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में दोहरे अंक में वृद्धि हुई है.”
चावला ने यह भी स्पष्ट किया, “इस वर्ष के पहले चार महीनों में यह निर्यात अब भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक निर्यात बन गया है. यह एक बड़ी उपलब्धि है.”
उन्होंने बताया कि सरकार अब जैविक इकाइयों के अपस्ट्रीम पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसमें विशेष रूप से अमीनो एसिड, न्यूक्लियोटाइड और वैक्सीन कच्चे माल जैसे बुनियादी अणु शामिल हैं.
चावला ने कहा, “आगे चलकर आप इस दिशा में बहुत काम होते देखेंगे. हम कोशिका और जीन थेरेपी और हेल्थकेयर इकोसिस्टम को सुविधाजनक बनाने पर भी काम कर रहे हैं, जो आगे चलकर सामने आएंगे.”
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एसकेटी/एबीएम