मोदी सरकार के तहत भारत का बहुमुखी विकास भाजपा को भारी बहुमत की ओर ले जाएगा : सुरजीत भल्ला (आईएएनएस साक्षात्कार)

नई दिल्ली, 28 अप्रैल . देश के जाने माने अर्थशास्त्री, लेखक और स्तंभकार सुरजीत भल्ला अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत रह चुके हैं. वह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य भी रहे हैं. उन्होंने केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि, देश के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी खुलकर अपनी बात रखी.

भल्ला ने से बातचीत में भविष्यवाणी की कि भाजपा को इस चुनाव में 325 से 350 और एनडीए को 400 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल हो सकती है.

सवाल :- लोकसभा का चुनाव चल रहा है. अभी तक दो चरण का मतदान हो चुका है. ऐसे में अभी कुछ दिन पहले जो आपने भविष्यवाणी की थी कि बीजेपी 325 से 350 तक सीट जीत सकती है. वह आकलन आपने किस आधार पर किया था और आपका आकलन अभी क्या कहता है?

जवाब :- आप जानते हैं कि जब पहले चरण का चुनाव हुआ तो काफी चर्चा हुई कि इसका क्या असर होगा, क्योंकि, वोटिंग टर्न आउट कम हो गया था. जिसके बाद चर्चा चल पड़ी कि वोटिंग टर्न आउट कम होने से भाजपा को नुकसान होगा या कांग्रेस के साथ इंडी अलायंस को नुकसान होगा. मैंने इन इश्यूज की जो पढ़ाई और रिसर्च की है, उससे यह लगता है कि जब चुनाव खत्म हो जाएगा तब हमें पता लगेगा कि इस चुनाव में किस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा पिछले इलेक्शन में कैसा कर पाई थी और इस इलेक्शन में कैसा प्रदर्शन किया है? इसके बाद हम फिर टर्न आउट के साथ इसे रिलेट कर सकते हैं. अगर एक्सट्रैक्ट में आप टर्न आउट को रिलेट करें तो मुझे लगता है कि कुछ खास नहीं मिल सकता है. मतलब कोई खास नतीजे नहीं निकाल सकते हैं. यह जो एग्रीगेट में दो परसेंटेज पॉइन्ट्स हैं. कई संसदीय सीट हैं, जहां पर यह बढ़ गया है. वहीं, कई ऐसी सीटें हैं, जहां पर ज्यादा नहीं बढ़ा है. मुझे नहीं लगता कि सात फेज हैं, तो, इन फेज से कुछ खास नहीं मिल सकता है. मेरा डायरेक्ट जवाब यह है कि 330 से 350 के करीब भाजपा को सीटें नतीजे के दिन नजर आएंगी.

सवाल :- इसकी वजह आप क्या समझते हैं. मोदी सरकार की जो स्कीम है या भाजपा का जो मजबूत संगठन है या फिर एक मोदी लहर आप देख पा रहे हैं, जैसे 2014 में थी वही 2024 में है?

जवाब :- सबसे अहम सवाल कि लोग क्यों वोट देते हैं किसी पार्टी और किसी लीडर को. पूरे 50-60 साल से जो हमारे यहां चुनाव हुए हैं. 1952 से 1962 तक तो नेहरू जी पीएम थे. वह तीनों इलेक्शन जीते, तब हमारी गरीब इकोनॉमी थी. उस वक्त वोट देने को लेकर लोगों में खास चॉइस नहीं थी. उसके बाद सबसे जरूरी जो डिटर्मिननेंट है वोट का, वह है कि आपकी जिंदगी में क्या बदलाव हुआ? गवर्नमेंट की जो पॉलिसीज होती है, चाहें वो भाजपा की हो या कांग्रेस की, वह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है. अगर उसके बेसिस पर आप वोट देंगे. आप देखिए कि अगर 2019 से 2024 तक लोगों की जिंदगी में क्या फर्क आया. आप यह देखेंगे कि मोदी गवर्नमेंट ने जो पॉलिसीज लाई है, चाहे वह खाने की हो, हाउसिंग की हो, वाटर सप्लाई की हो. लोगों की एक तो आमदनी होती है, एक होता है कि सोशल सर्विसेज जो गवर्नमेंट दे रही है.

हिंदुस्तान में गवर्नमेंट सोशल सर्विसेज में इंवॉल्वड है और आपको याद रखना चाहिए कि 1985 में राजीव गांधी ने कहा था कि गवर्नमेंट पैसा खर्च करती है, मगर, गरीबों के पास सिर्फ 15 पैसे जाते हैं. बाकी करप्शन और अमीरों को जाता है. जिनको चाहिए था, जिनके लिए हमने पॉलिसीज बनाई है. वहां सिर्फ 15% गई है. मेरे मुताबिक जो सबसीक्वेंट रिसर्च है, वो ओवर एस्टीमेट है, उससे भी कम गरीबों को जाता था. वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ जिन्होंने भी एनालिसिस किया है कि आज यह डिलीवरी 90% है. जो गवर्नमेंट पैसा गरीबों के लिए खर्च रही है, वह पैसा उनके पास सीधे जा रहा है.

फूड सिक्योरिटी एक्ट 2013 में आया था, उस वक्त 20-25 परसेंट गरीबों को इसका लाभ जाता था. अब 90 या 100 परसेंट गरीबों को पहुंचता है. सैनिटेशन और टॉयलेट को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा काम काम किया है. 2014 तक 60 साल से इसपर कोई काम नहीं हुआ. गरीबों के पास गांव में तो टॉयलेट नहीं थी. पीएम मोदी ने महिलाओं की सेफ्टी के ऊपर काम किया. टॉयलेट जो है, वह भी सेफ्टी और हेल्थ के लिहाज से बड़ी पहल है. ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान भी मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि है. सरकार की तमाम योजनाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि चुनाव में भाजपा 330 या 350 सीट जीत सकती है.

सवाल :- इंडी अलायंस जो भाजपा के खिलाफ चुनाव मैदान में है, वह कहती है कि देश में महंगाई और बेरोजगारी दो सबसे बड़ी समस्या है. वह अलग-अलग आंकड़े भी देते हैं. इसको लेकर आपका क्या कहना है?

जवाब :- कब महंगाई नहीं हुई है, विपक्ष या गवर्नमेंट जाकर वोटर से पूछते हैं कि महंगाई दर क्या है? मगर यह नहीं पूछते कि इंफ्लेशन कितनी बढ़ी हुई है. सामान की प्राइस बढ़ी है कि नहीं. कोई साल नहीं है जब मूल्य वृद्धि नहीं हुई थी. कितने सालों से चुनाव हो रहे हैं, मैंने एग्जामिन किया कि इन्फ्लेशन रेट अंपयारिकल मामला है. यह डाटा का मामला है. वोटर के दिमाग में रहता है कि 2019 में मेरी आमदनी इतनी थी, रोजगार की स्थिति यह थी और अब क्या है? युवाओं की बेरोजगारी की सब चर्चा कर रहे हैं कि बेरोजगारी बढ़ गई है. लेकिन, अगर आप 18 से 29 साल उम्र तक लें तो 2019 में अनइंप्लॉयमेंट का रेट 16 परसेंट था, अब यह 10 प्रतिशत है. ऐसा नहीं है कि बेरोजगारी जीरो हुई है या महंगाई जीरो है, लेकिन, जो भी चेंज हुआ है वह लोगों को ठीक लग रहा है और लोग खुश हैं. ऐसे में जो वोटर वोट देता है तो वह देखता है कि इस बीच उसके जीवन में कुछ भला हुआ है कि नहीं और इन आंकड़ों के मुताबिक तो ऐसा हुआ है.

सवाल :- कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आप कैसा लीडर मानते हैं?

जवाब :- लीडरशिप बहुत बड़ी बात होती है. राहुल गांधी को लेकर कोई प्रमाण नहीं है कि वह प्रभावशाली लीडर होंगे या नहीं. 2013 में उन्होंने अपनी सरकार का ऑर्डिनेंस फाड़ दिया था सबके सामने. जो लीडर होते हैं, वह ऐसा नहीं करते हैं. तब, मनमोहन सिंह की सरकार थी. वह तब अपनी सरकार के खिलाफ हो गए थे. इस समय जो भी चुनाव होता है, वह चेहरे के ऊपर होता है. इस समय विपक्ष का चेहरा कौन है. मुझे तो कोई दिखता नहीं है. विपक्ष में 50 चेहरे हैं. वहीं, भाजपा का एक चेहरा है पीएम मोदी. यह एक और वजह है कि बीजेपी अच्छा करेगी.

सवाल :- क्या आपको लगता है कि राहुल गांधी ने ही कांग्रेस को सबसे ज्यादा डैमेज किया है?

जवाब :- सारी दुनिया में एजुकेशन बढ़ गई है. आपके परिवार में कोई लीडर था, ऐसे में आपको यह जॉब मिलना चाहिए. चुनाव के बाद कांग्रेस के अंदर चर्चा होनी चाहिए कि क्या कोई डायनेस्टी है उसको हम चुनाव के लिए उतारेंगे और वोट देंगे. मेरे ख्याल से वह जमाना गया. अब वक्त लगता है, 70 सालों से एक डायनेस्टी चल रही है. लेकिन, अब मेरिट के ऊपर चुनाव होगा और वह इसी पर बेस होगा.

सवाल :- आपको क्या लगता है कि देश में 60 साल कांग्रेस की सरकार रही थी. नेहरू जी, इंदिरा जी, राजीव जी पीएम रहे, ऐसे में राहुल गांधी का कभी कोई चांस देखते हैं आप, प्रधानमंत्री पद के लिए?

जवाब :- नहीं, यह जो कांग्रेस का आपने नाम बताया यह लीडर थे, अब दो लीडर कांग्रेस के जिनका आपने नाम नहीं लिया. नरसिंह राव और मनमोहन सिंह उनका नाम नहीं लिया. यह अब लोगों के दिमाग में आ गया, अरे भाई आप अगर दो लीडर देखें कांग्रेस के तो कोई कांग्रेसी ही उनकी बात नहीं करता है. यह जो सेटल चीज है यह जो बैकग्राउंड में होता है यह लोगों को दिखता है. लोगों को लगता है कि क्या उन्होंने अच्छा काम नहीं किया जो कांग्रेस उनका नाम नहीं लेती. दोनों ने काफी अच्छा काम किया. लेकिन, कांग्रेस इनका नाम नहीं लेती. यह लीडरशिप तो नहीं है ना.

सवाल :- क्या कांग्रेस एक मुस्लिम-परस्त पार्टी है?

जवाब :- इसका मैं जवाब ऐसे दूंगा कि देखिए अब कांग्रेस यह भी कहती है कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए. रिजर्वेशन होनी चाहिए. यह अब काफी आउटडेटेड विचार है. मुझे लगता है कि इनकी अपील नहीं है. हिंदुस्तान की ताकत जो है, भारत की जो ताकत है, वह अनेकता में एकता है. अगर आप सबको कहें कि सबको कोटा से चलना चाहिए जो कांग्रेस के लीडर्स अभी कह रहे हैं, उससे क्या मिलेगा? मुझे लगता है कि उनका कैंपेन ही ठीक नहीं है.

एक और मैं आपको बताऊंगा जो किताब ‘हाउ वी वोट’ में से रिसर्च निकलता है. उसमें यह निकला कि दो पार्टी हैं, जिसकी गठबंधन से बेहतरी होती है और दो पार्टी हैं, जिसको गठबंधन से नुकसान होता है. यह पार्टी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी है, जिसको गठबंधन से फायदा होता है. वहीं, जेडीयू और टीएमसी जो पार्टी हैं, उसे गठबंधन से नुकसान होता है.

सवाल :- क्या मुस्लिम तुष्टीकरण की कोशिश इंडी अलायंस और कांग्रेस के लोग कर रहे हैं और क्या इस चुनाव में उनको इसका फायदा मिल पाएगा?

जवाब :- तुष्टीकरण जो आप कह रहे हैं, खासकर मुस्लिम तुष्टीकरण की बात तो वह शुरू हुआ खुमैनी से, जब ईरान में फंडामेंटलिस्ट सक्रिय हुए और फिर 1984 में जब राजीव गांधी सरकार आई तो शाहबानो केस आपको याद होगा. फिर, सलमान रुश्दी की जब किताब बैन कर दी. आप यह देखिए यह जो राम मंदिर का उन्होंने इतना चर्चा किया. इतने सारे मस्जिद हैं और बहुत सारे टेंपल्स भी हैं, मगर, हिंदू के लिए दो-तीन मंदिर हैं, जिसमें राम मंदिर जो है वो मोस्ट फर्स्ट अमोंगस्ट इक्वल्स है, जिसमें इन्होंने जो ऑब्जेक्शन की थी बाबरी मस्जिद में है कि नहीं, यहां पर राम टेंपल नहीं होना चाहिए. उससे उन्हें ज्यादा नुकसान हुआ है और अपोजिशन की या कांग्रेस की जो अपिजमेंट वहां से शुरू हुई है. मैं मानता हूं कि इससे ज्यादा नुकसान हुआ. हमें आगे के लिए यह देखना है कि अपिजमेंट नहीं होनी चाहिए, ना फेवरेटिज्म होना चाहिए. सबको इक्वलिटी और डाइवर्सिटी होनी चाहिए, जो हमारी स्ट्रैंथ है. एक जो हमारी जो पॉलिसी है अब उसमें भी चेंज होना चाहिए, रिजर्वेशन मेरे ख्याल से तो बिल्कुल गलत पॉलिसी थी. जब मैं कहता हूं ‘लेट द डाटा स्पीक’, आप पढ़िए कि अगर इस पॉलिसी से फायदा हुआ है तो उस पॉलिसी को हमें ज्यादा आगे बढ़ाना चाहिए. अगर पॉलिसी से फायदा नहीं हुआ तो उसको हमें चेंज करना चाहिए. 2011 में कांग्रेस ने जाति जनगणना कराया था, जब वह पावर में थी. उसका कुछ पब्लिकेशन नहीं हुआ. उन्होंने इसे किया और डिसाइड कर लिया कि पब्लिश नहीं करेंगे.

सवाल :- जातिगत जनगणना के अलावा राहुल गांधी इंस्टीट्यूशनल सर्वे और फाइनेंशियल सर्वे कराने की बात करते हैं, क्या आप इसे देश की किसी समस्या का समाधान मानते हैं?

जवाब :- देखिए मैं यही कहता हूं कि प्लीज आप डाटा को देखिए, वह डाटा को नहीं देखते. वह अपनी आईडियोलॉजी को देखते हैं. इंडिया में कभी कोई इनकम डिस्ट्रीब्यूशन सर्वे हुआ नहीं है. मेरे ख्याल से होना चाहिए. जब भी मुझसे पूछते हैं तो मैं कहता हूं जरुर करिए और चुनाव के बाद अगर करेंगे तो बहुत अच्छी बात है. यह आईडियोलॉजी की बात है. आईडियोलॉजी हम सब की होती है. हमें देखना चाहिए कि डेटा क्या कहता है और उसके मुताबिक हमें फैसला लेना चाहिए. यह मुद्दा कांग्रेस के लिए कमजोर साबित हो सकता है.

सवाल :- इनहेरिटेंस टैक्स (विरासत कर) को लेकर लगातार पीएम मोदी कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं. इन्हेरिटेंस टैक्स जैसी चीज अमेरिका के लिए एक तरह का कॉन्सेप्ट है. उस कांसेप्ट को भारत में अप्लाई करना संभव है?

जवाब :- देखिए अमेरिका में 50 स्टेटस हैं, जिनमें से 6 राज्यों में विरासत कर लागू है. बाकी के राज्यों ने इसे वहां भी लागू नहीं किया है. सैम पित्रोदा ने जो वहां का रेट बताया है 50 प्रतिशत, वह भी गलत है. वहां इस कर की दर 20 प्रतिशत है. अमेरिका अमीर देश है. ये जरूरी नहीं कि जो यूएस कर रहा है, वह हम भी करेंगे. जब हम डेवलप देश हो जाएंगे तब देखा जाएगा.

सवाल :- 2047 तक विकसित भारत बनाने की जो बात पीएम मोदी कर रहे हैं, उसे आप कैसे देखते हैं?

जवाब :- मैंने तो इसके ऊपर लिखा और रिसर्च किया हुआ है. इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. अगर आप प्रॉपर डेफिनेशन लें कि डेवलप नेशन क्या होता है तो मेरे मुताबिक 2045 तक हमें इस लक्ष्य तक पहुंचना होगा. हमें उसके लिए 6% जीडीपी ग्रोथ चाहिए. आज हम 8% पर हैं. थोड़े सालों के लिए फिर नीचे आएंगे, मगर एवरेज ग्रोथ रेट हमारी तो 6% बड़ी आसानी से हो सकती है. मुझे विकसित भारत को लेकर कोई डाउट नहीं है. विकसित भारत का जो गोल है और जो टारगेट है, वह हासिल हो जाएगा.

सवाल :- पिछले 10 साल के मोदी सरकार के कामों को आप कैसे देखते हैं. उसे देखते हुए आपको क्या लगता है कि विकसित भारत बनना कितना आसान है?

जवाब :- इंडिया का जो स्ट्रक्चर ग्रोथ है वह बहुत बेहतर है. यह रिसर्च के आंकड़े कहते हैं. इतनी पॉलिसीज और रिफॉर्म्स हुए हैं कि उसका हमें नतीजा देखने को मिल रहा है. इसमें तो कोई संदेह ही नहीं हैं कि भारत विकसित नहीं बनेगा, वह जरूर विकसित देश बनेगा. सारी दुनिया, नेशनल इंस्टीट्यूशंस, आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, हमारे डोमेस्टिक इकोनॉमिस्ट इस बात के सबूत दे रहे हैं. अब वह वक्त आ गया है कि हिंदुस्तान को नंबर वन होना चाहिए.

सवाल :- पिछले कुछ समय से जिस तरह से कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं और कह रहे हैं कि सनातन के खिलाफ बयान और राम मंदिर का निमंत्रण ठुकराने से वह आहत हैं. वहीं, डीएमके जैसी पार्टी जो सनातन पर अभद्र टिप्पणियां कर रही है, उसके साथ कांग्रेस का खड़ा होना कहीं उसके पतन का कारण तो नहीं है?

जवाब :- इस चुनाव में आप तमिलनाडु को देखिए जहां पर डीएमके के नेता ने सनातन के ऊपर जो अटैक किया है. इससे उनको मेरे ख्याल से घाटा होगा. भाजपा को आज तक तमिलनाडु में एक भी सीट नहीं मिली है. लेकिन, इस सबसे भाजपा को वहां फायदा होगा और उसे 5 से ज्यादा सीट मिल जानी चाहिए. यह परिणाम लोगों को जरूर चकित कर देगा.

सवाल :- क्या लग रहा है आपको कि 4 जून को रिजल्ट जो आएगा, उसमें भाजपा का ‘400 पार’ का नारा सफल हो पाएगा?

जवाब :- अगर भाजपा की 350 के करीब सीटें आ गई तो ‘400 पार’ एनडीए के लिए मानकर चलिए. अगर पीएम मोदी की लहर पर चुनाव हुआ तो फिर एनडीए 420 सीट भी जीत सकती है. चुनाव के बाद कुछ कह पाना आसान होगा. मगर, जैसे मैंने कहा कि एनडीए ‘400 पार’ हो सकता है.

सवाल :- आपको क्या लगता है इस बार के इलेक्शन में इसमें तमिलनाडु जहां पर आप बीजेपी को 5 सीट दे रहे हैं और दूसरा राज्य उत्तर प्रदेश. दोनों में से किसकी बड़ी भूमिका रहने वाली है दिल्ली की सरकार बनाने में?

जवाब :- ईस्ट-साउथ से कुछ मिलता नहीं है. अगर आप एक देश हैं तो इसे पूरा देखना चाहिए. हमें देखना चाहिए गवर्नमेंट से कितनी हेल्प हुई है. साउथ में एजुकेशन के साथ निवेश भी अच्छा हुआ है. कोई स्टेट ज्यादा बढ़ता है तो कोई स्टेट स्लो बढ़ता है. पॉलिसी का यह गोल होना चाहिए कि जो स्टेज विकास की मुख्यधारा में नहीं है, उसे सहयोग करे. देश को नॉर्थ-साउथ में डिवाइड करके सोचना गलत है. लीडरशिप को डिवाइड की पॉलिसीज को हटाना चाहिए जो यूनाइटेड की पॉलिसी है उनको बढ़ाना चाहिए. पहले यह मुद्दा नहीं था.

सवाल :- यूपी और तमिलनाडु कौन बनाएगी केंद्र की सरकार?

जवाब :- यूपी का कोई डाउट नहीं है. यूपी में भाजपा को 62 सीट मिली थी. इस बार यूपी में इससे ज्यादा मिलेगी. तमिलनाडु में भाजपा चौंका सकती है. अगर भाजपा की वहां पांच सीट भी आ गई तो हम लोग उसकी ही चर्चा करेंगे.

सवाल :- आपको क्या लग रहा है कि अब हमारा देश कितनी जल्दी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा?

जवाब :- भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था 2027 तक हो सकता है. पक्का मानकर चलिए कि 2028 तक तो हो जाएगा. अब हमें यह देखना होगा कि हमारी ग्रोथ रेट क्या है? पर कैपिटा इनकम क्या है? हमारे हिंदुस्तान की इकोनॉमी की ताकत यह है कि ग्रोथ काफी अच्छे लेवल पर पहुंच गई है. मुझे लगता है कि चार से पांच सालों में पर कैपिटा इनकम 7% से भी ज्यादा होगी. अब दुनिया बदल गई है और हम भी बदल गए हैं. देश का विकास दुनिया में नंबर वन है और मेरा मानना है कि यह आगे भी जारी रहेगा.

जीकेटी/