भारत का सबसे वांछित नक्सली बसवराजू मारा गया: माओवाद के अंत की ओर बढ़ता देश

नई दिल्ली | 26 मई 2025: छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के घने जंगलों में सुरक्षा बलों ने भारत के सबसे खतरनाक और वांछित नक्सली नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को एक हाई-प्रोफाइल ऑपरेशन में मार गिराया. सीपीआई (माओवादी) का महासचिव और रणनीतिक प्रमुख बसवराजू पर ₹1.5 करोड़ का इनाम घोषित था और वह दशकों से देश में माओवादी हिंसा का मुख्य चेहरा बना हुआ था.

इस कार्रवाई को सरकार ने नक्सलवाद के विरुद्ध “निर्णायक मोड़” बताया है और इसे माओवादी उग्रवाद पर सबसे बड़ी जीत करार दिया है.

एक छात्र से बना माओवादी आंदोलन का चेहरा

1955 में आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियन्नापेटा गांव में जन्मे बसवराजू का शुरुआती जीवन साधारण था. उनके पिता शिक्षक थे. उन्होंने वारंगल के क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज (अब NIT) में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन कॉलेज के दिनों में ही वह रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन और फिर पीपुल्स वार ग्रुप से जुड़ गए.

1984 में एमटेक अधूरा छोड़कर उन्होंने पूरी तरह माओवादी आंदोलन को अपना लिया और परिवार से सारे रिश्ते तोड़ दिए.

विस्फोटों और घातक हमलों का मास्टरमाइंड

बसवराजू ने 1987 में श्रीलंका में लिट्टे के साथ गुरिल्ला युद्ध और विस्फोटक निर्माण का प्रशिक्षण लिया. इसके बाद वह नक्सली रणनीति का केंद्रीय स्तंभ बन गया.

उनकी योजना और नेतृत्व में हुए कुछ प्रमुख हमले:

  • 2010 दंतेवाड़ा हमला: 76 CRPF जवान शहीद

  • 2013 झीरम घाटी हमला: 27 कांग्रेस नेताओं की हत्या

  • 2003 अलिपिरी ब्लास्ट: तत्कालीन आंध्र प्रदेश CM चंद्रबाबू नायडू पर नाकाम हमला

  • 2018 अराकू घाटी हत्या: दो TDP नेताओं की हत्या

वह ‘विनय’, ‘गंगन्ना’, ‘यूमेंश’, ‘बीआर’ जैसे नामों से अपनी पहचान छुपाता रहा और 2018 में गणपति के बाद संगठन का महासचिव बना.

अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन, नक्सलियों की कमर टूटी

21 अप्रैल से 11 मई तक चले इस ऑपरेशन को देश का अब तक का सबसे व्यापक और खतरनाक नक्सल-विरोधी अभियान माना जा रहा है.

  • 21 मुठभेड़ें, 1200 वर्ग किमी जंगल में कार्रवाई

  • 450 से ज्यादा IED मिले, 15 फटे, 18 जवान घायल

  • 216 माओवादी ठिकाने ध्वस्त, 35 हथियार जब्त

  • 818 बम, 899 डेटोनेटर बंडल, 4 IED निर्माण इकाइयाँ नष्ट

कर्रगुट्टालु की पहाड़ियाँ, जहां 300-350 PLGA कैडर सक्रिय थे, अब माओवादी नियंत्रण से बाहर हैं.

शीर्ष नेतृत्व की प्रतिक्रिया: “राष्ट्रीय गौरव का क्षण”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “असाधारण सफलता” बताया और शांति व विकास की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई. गृहमंत्री अमित शाह ने इसे “राष्ट्रीय गौरव” करार दिया और छत्तीसगढ़ की DRG टीम की तारीफ की.

माओवादियों की स्वीकारोक्ति और वार्ता की पेशकश

ऑपरेशन के बाद माओवादी प्रवक्ता ‘अभय’ ने 26 कैडरों के मारे जाने की पुष्टि की और सरकार से शांति वार्ता की अपील की. उन्होंने प्रधानमंत्री से नीति पर स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की.

आंकड़े बताते हैं बदलाव की दिशा

  • 2014 में 76 माओवादी प्रभावित जिले, अब 42

  • 2014 में 88 सुरक्षाकर्मी शहीद, 2024 में सिर्फ 19

  • 2024 में 928 माओवादी आत्मसमर्पण, 2025 में अब तक 700+

  • 2025 के पहले 4 महीनों में 197 माओवादी मारे गए

सरकार अब तक 320 से अधिक सुरक्षा कैंप और 68 नाइट-लैंडिंग हेलीपैड बना चुकी है. सड़कों, स्कूलों और मोबाइल नेटवर्क जैसी सुविधाएं उन इलाकों में पहुंच रही हैं, जहां कभी सिर्फ बंदूक का राज था.

अंतिम लक्ष्य: 2026 तक पूर्ण माओवादी मुक्ति

अब माओवादी संगठन टूट चुका है. बचे हुए नेता छोटे समूहों में काम कर रहे हैं. सरकार का उद्देश्य है कि 2025 के अंत तक सभी शीर्ष नेताओं को पकड़कर या आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर, 2026 तक भारत को माओवादी आतंक से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाए.

छत्तीसगढ़ DGP अरुण देव गौतम के शब्दों में, “यह सिर्फ सामरिक सफलता नहीं, मनोवैज्ञानिक विजय भी है—जिसने भारत को माओवादी भय से उबरने की नई उम्मीद दी है.

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